बेरोजगारी के कारणों की ) व्याख्या कीजिए | Berojgari Ke Karnon Ki Vyakhya Kijiye.
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बेरोजगारी के कारणों की ) व्याख्या कीजिए | Berojgari Ke Karnon Ki Vyakhya Kijiye.

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भारत, विशेषकर बिहार की अग्रलिखित हैंअर्थव्यवस्था में बेरोजगारी के प्रमुख कारण

( 1 ) निम्न आर्थिक संवर्द्धन दर बिहार राज्य में आर्थिक संवर्द्धन (ग्रोथ) दर निम्न रहने के कारण रोजगार के नये अवसरों का सृजन नहीं हो पाता है। विनियोग स्तर निम्न रहने के कारण बिहार राज्य में रोजगार के नये अवसर सृजित नहीं हो पाते हैं। -

( 2 ) अशिक्षा बिहार में सबसे अधिक अशिक्षा है; इसलिए बिहार के रोजगार के सभी अवसरों को बिहारवासियों द्वारा प्राप्त नहीं किया जा सकता है।

( 3 ) स्वरोजगार के संस्कृति का अभाव बिहार राज्य में रोजगार का अर्थ सरकारी नौकरी है। इस मानसिकता में परिवर्त्तन लाना होगा। स्वरोजगार के संस्कृति के अभाव में बिहार में बेरोजगारी है। -

( 4 ) पिछड़ा तकनीकी स्तर बिहार राज्य में कृषि तथा उद्योग दोनों में पिछड़ा हुआ तकनीकी स्तर है जिससे अधिक रोजगार की प्राप्ति नहीं हो पाती है।

( 5 ) बंद चीनी मिलें एवं अन्य रूग्ण उद्योग बिहार राज्य में लाखों किसान प्रच्छन्न बेरोजगार हो गये हैं क्योंकि बिहार राज्य की सरकारी 17 चीनी मिलें पिछले 8-10 वर्षों से बंद है; अशोक पेपर मिल बंद है और हजारों लघु उद्योग बंद पड़े हैं जिसका नजारा फतुहा (पटना) इंडस्ट्रियल एरिया, वैशाली इंडस्ट्रियल एरिया, बेला- मुजफ्फरपुर इन्डस्ट्रियल एरिया आदि में देखने को मिलता है जहाँ सरकार से भूमि प्राप्त कर वर्षों से उद्योग स्थापित हैं; ऋण लिया जा चुका है किंतु आज तक अधिकांश उद्योग उत्पादन नहीं कर सका है; रोजगार में वृद्धि नहीं कर सका है; इसके कई कारण हैं, जैसे बिजली की कमी; इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी, उद्यमी की ईमानदारी में कमी, कार्यशील पूँजी में अभाव तथा लाल फीताशाही आदि। इससे बिहार में रोजगार के अवसरों में वृद्धि नहीं हो सकी है। -

( 6 ) जनसंख्या में तीव्र वृद्धि बिहार की अर्थव्यवस्था में जिस दर से रोजगार सृजित हो रहा है उससे ऊँचे दर से जनसंख्या में वृद्धि हो रही है। फलस्वरूप बेरोजगारों की कतार में लोगों की संख्या प्रतिवर्ष बढ़ रही है।

इन्हीं कारणों से वर्ष 1987-88 में बिहार की कुल जनसंख्या का 40.8 प्रतिशत गरीबी रेखा के नीचे था जबकि उसी अवधि में भारतवर्ष की कुल जनसंख्या के 29.9 प्रतिशत व्यक्ति गरीबी रेखा के नीचे था। 1983 ई० में बिहार में 4.84 लाख व्यक्ति बेरोजगार थे जबकि उसी वर्ष भारतवर्ष में 72.67 लाख व्यक्ति बेरोजगार थे। देश की कुल बेरोजगार व्यक्तियों का 6.65 प्रतिशत बिहार राज्य में निवास करता है। बिहार में कुल श्रम शक्ति (Labour Force) का 2.3 प्रतिशत बेरोजगार हैं जबकि भारतवर्ष की कुल श्रमशक्ति का 2.8 प्रतिशत बेरोजगार हैं।

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