भारतीय अर्थव्यवस्था के सम्मुख गरीबी व बेरोजगारी दोनों ही गंभीर समस्याएँ हैं जिसका देश के आर्थिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। गरीबी एवं बेरोजगारी दोनों अलग समस्यायें न होकर एक-दूसरे की पूरक समस्यायें हैं। दोनों समस्याओं के निवारण हेतु समान प्रकार के कार्यक्रम लागू कर सकते हैं। भारत में केन्द्र व राज्य सरकारें इन दोनों समस्याओं के निवारण हेतु निरन्तर प्रयासरत हैं, इस हेतु अनेक कार्यक्रम चलाए गए। भारत में गरीबी निवारण तथा रोजगार सृजन के प्रमुख कार्यक्रम निम्न प्रकार हैं
समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम (IRDP) - इस कार्यक्रम का शुभारम्भ श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने छठी योजना के दौरान गाँवों में रहने वाले गरीब लोगों को आय अर्जित करने की सुविधा जुटाने तथा अपना कारोबार शुरू करने के अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से किया था। उसके अन्तर्गत गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले गरीबों को सरकारी मदद के रूप में अनुदान तथा वित्तीय संस्थाओं से ऋण उपलब्ध कराकर रोजगार के अवसर जुटाये जाते हैं। इसमें छोटे किसानों, खेतिहर मजदूरों और ग्रामीण दस्तकारों को लाभान्वित किया जाता है।
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम (NREP) - जनता शासन के पतन के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार वृद्धि तथा गरीबी निवारण का यह कार्यक्रम काम के बदले अनाज की कमियों को दूर करने के लिए श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने शुरू किया।
ग्रामीण भूमिहीन रोजगार गारन्टी कार्यक्रम (RLEGP) - ग्रामीण क्षेत्रों में बसे अत्यन्त गरीब भूमिहीन श्रमिक परिवारों को रोजगार देकर गरीबी मिटाने का यह कार्यक्रम 1983 में चालू किया गया ताकि उन्हें गरीबी रेखा से ऊपर उठाया जा सके।
जवाहर रोजगार योजना (JRY) : अब नया नाम 'जवाहर ग्राम समृद्धि योजना' (JGSY) - यह योजना तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री राजीव गाँधी द्वारा अप्रैल, 1989 में प्रारम्भ की गई महत्वाकांक्षी योजना है। केन्द्र सरकार ने इस योजना में पूर्व में ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार बढ़ाने हेतु चलाए जा रहे NREP तथा RLEGP कार्यक्रमों को मिला दिया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य बेरोजगार एवं अल्परोजगारित ग्रामीण महिला एवं पुरुष को रोजगार उपलब्ध कराकर ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक व सामाजिक पूँजी का निर्माण करना था, जिससे ग्रामीण क्षेत्र के निवासियों का समग्र विकास हो सके।
ग्रामीण युवाओं को स्वरोजगार हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम (ट्रायसम ) इस योजना को भारत सरकार ने 15 अगस्त, 1979 को प्रारम्भ किया तथा IRDP के साथ संचालित किया। ट्रायसम का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण युवाओं अर्थात् 18 से 35 वर्ष के युवकों को जो गरीबी की रेखा से नीचे हैं उन्हें कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्र, उद्योगों, व्यापारिक गतिविधियों आदि में स्वरोजगार हेतु प्रशिक्षण देकर उन्हें तकनीकी एवं व्यावसायिक कुशलता प्रदान करना था।
इन्दिरा आवास योजना - 1999-2000 में शुरू की गई यह योजना गरीबों के लिए निःशुल्क में मकानों के निर्माण की प्रमुख योजना है। इस योजना का क्रियान्वयन जिला ग्रामीण विकास अभिकरण अथवा जिला परिषदों द्वारा किया जाता है।
रोजगार आश्वासन योजना- यह योजना 2 अक्टूबर, 1993 को देश के 1778 ब्लाकों में प्रारम्भ की गई। अब इसमें 3206 पिछड़े विकास खण्ड शामिल हैं। इस योजना के अन्तर्गत 18 से 60 वर्ष तक के सभी ग्रामीण निर्धन स्त्री व पुरुषों को 100 दिन के रोजगार का आश्वासन दिया गया।
प्रधानमंत्री रोजगार योजना- यह योजना गरीबी निवारण एवं स्वरोजगार की योजना है। इस योजना का प्रारम्भ 2 अक्टूबर, 1993 को किया गया जिसका प्रमुख उद्देश्य 18 से 35 वर्ष के शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार सहायता उपलब्ध कराना था परन्तु अनुसूचित जाति, जनजाति, महिलाओं व विकलांगों को आयु सीमा में 10 वर्ष की छूट प्रदान की गयी है। इस योजना के अन्तर्गत व्यवसाय करने के लिए एक लाख रुपये व उद्योग तथा सेवा क्षेत्र के लिए दो लाख रुपये तक के ऋण का प्रावधान किया गया। इस योजना के तहत लाभार्थियों को प्रोजेक्ट लागत के 5% के साधन स्वयं जुटाने होंगे साथ ही ऋण राशि पर सरकार 15 प्रतिशत अथवा अधिकतम 7500 रुपये का अनुदान देती है।
जवाहर ग्राम समृद्धि योजना - अप्रैल, 1999 में केन्द्र सरकार ने जवाहर रोजगार योजना के स्थान पर जवाहर ग्राम समृद्धि योजना प्रारम्भ की। जवाहर ग्राम समृद्धि योजन का उद्देश्य ग्रामीण गरीबों के लिए रोजगार के स्थाई अवसर उत्पन्न करके ग्राम स्तर पर टिकाऊ परिसम्पत्तियों एवं आधारभूत सुविधाओं का सृजन करना है तथा बेरोजगार गरीबों के लिए पूरक रोजगार के अवसर उत्पन्न करना है।
सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना- सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना का शुभारम्भ 15 अगस्त, 2001 में किया गया। इस योजना का प्रमुख उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में स्थायी सामुदायिक, सामाजिक तथा भौतिक सम्पत्ति का निर्माण करना है।
स्वर्ण जयन्ति ग्राम स्वरोजगार योजना - इस योजना का प्रारम्भ 1 अप्रैल, 1999 को किया गया। इस योजना में पूर्व में चल रही समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम (IRDP), ट्राइसम, ग्रामीण महिला एवं बाल विकास कार्यक्रम (DWCRA), उन्नत टूल किट योजना, दस लाख कुओं की योजना एवं गंगा कल्याण योजना को मिला दिया गया। इस योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार को प्रोत्साहित करना तथा जिन ग्रामीणों को सहायता प्रदान की जा रही है उन्हें तीन वर्ष में गरीबी रेखा से ऊपर उठाना है। इस योजना में केन्द्र व राज्यों का वित्तीय अनुपात 75:25 है।
स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना - इस योजना का प्रारम्भ 1 दिसंबर, 1997 को किया गया। इसमें पूर्व में चली आ रही तीन योजनाओं - नेहरू रोजगार योजना, शहरी निर्धनों के लिए मूलभूत सेवा कार्यक्रम तथा प्रधानमंत्री की समन्वित शहरी गरीबी उन्मूलन योजना को मिला दिया गया।
वाल्मिकी अम्बेडकर आवास योजना- यह योजना 2 दिसम्बर, 2001 को प्रारम्भ की पां इस योजना का प्रमुख उद्देश्य शहरी क्षेत्र की गंदी बस्तियों में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगो के लिए आवासीय इकाइयों का निर्माण व उन्नयन करना तथा सामुदायिक शौचालयों का निर्माण करना है।