आगरा में यमुना नदी के तट पर 18 फीट ऊँचे चबूतरे पर स्थित 1900X1000 वर्गफीट क्षेत्रफल में विस्तृत यह इमारत मुगलकालीन स्थापत्य का श्रेष्ठतम नमूना है। शाहजहाँ द्वारा अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में बनाया गया यह भवन श्वेत संगमरमर से बना है। इसके चारो कोनों पर आकर्षक मीनारें बनी हुई हैं। पूरी इमारत में उत्कृष्ट अलंकरण दिखाई पड़ता है। यह विश्व के सात आश्चर्यों में से एक है। भारत में आया हुआ कोई भी विंदेशी जब तक इसके दर्शन नहीं कर लेता वह अपनी भारत यात्रा अधूरी समझता है। यह सम्पूर्ण संगमरमर का बना हुआ है। इसकी शोभा को पूर्णिमा के चन्द्रमा की चाँदनी में देखकर प्रत्येक व्यक्ति प्रसन्न होता है। अब्दुल हमीद लाहौर के अनुसार इस पर 50 लाख रू. खर्च हुआ और 12 वर्ष इसके पूरे करने में लगे। ट्रेवरनियर के अनुसार इस पर 3 करोड़ रू. लगा व 22 वर्ष लगे।