सर्वोदय क्या है स्पष्ट करें। Sarvoday Kya Hai Spasht Karen.
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सर्वोदय क्या है स्पष्ट करें। Sarvoday Kya Hai Spasht Karen.

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सर्वोदय शब्द दो शब्दों के मेल से बना है- सर्व और उदय। जिसका अर्थ है सबका विकास। इस सर्वोदय का अर्थ है सम्पूर्ण मानव समुदाय का विकास । सर्वोदय का आशय निरपेक्ष, शाश्वत और व्यापक मूल्यों की स्थापना करना है। इस संबंध में श्री आर० पी० मसानी ने अपना विचार इन शब्दों में दिया है - "सर्वोदय समाज सत्य अहिंसा तथा जातिविहीन एवं शोषणहीन समाज की कल्पना करता है।"

भारत में सर्वोदय का विचार राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी की देन है। बीसवीं शताब्दी में मानव जाति की उन्नति के लिए सम्पूर्ण विश्व में समाजवाद और साम्यवाद चर्चा का विषय था। इन वादों का उद्देश्य समाज में विभिन्न प्रकार के भेदभाव विशेषत: आर्थिक असमानता को समाप्त करना था। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए इन वादों के समर्थक मजदूर वर्ग को संगठित करके शासन का बागडोर उनके हाथों में सौंप देना चाहते थे। इस सिद्धांत के अनुयायियों का यह मानना है कि असमानता का मूल कारण कुछ ही व्यक्तियों के हाथ में सम्पत्ति का केन्द्रित होना है। इसी कारण ये लोग देश के प्रमुख आर्थिक साधनों पर राज्य का अधिकार स्थापित करना चाहते थे। परन्तु इन लोगों का मानना है कि शोषक वर्ग अपनी इच्छा से संपत्ति नहीं छोड़ेंगे। अतः मजदूरों को संघर्ष करके अपना अधिकार प्राप्त करना होगा। इसी को वर्ग संघर्ष की संज्ञा दी गई है। इस विचार के प्रतिकूल महात्मा गाँधी का विचार था कि मनुष्य अपने स्वभाव से ही उदार है तथा समानता कोई आर्थिक वस्तु नहीं है। समानता का नैतिकता से अभिन्न संबंध है। प्रत्येक व्यक्ति का कुछ नैतिक कर्त्तव्य होता है और अपने व्यक्तित्व की रक्षा करते हुए उन्हें उन कर्त्तव्यों का पालन करना चाहिए। इसके साथ ही साथ ईश्वर मनुष्य को सिर्फ अपने उपभोग के लिए सम्पत्ति नहीं देते बल्कि मनुष्य तो उस सम्पत्ति का रक्षक है। अतः संपत्ति का उपयोग सार्वजनिक हित के लिए होना चाहिए। गाँधी जी ऐसे समाज की स्थापना करना चाहते थे जिसमें सभी को समान आदर और अधिकार प्राप्त हो जहाँ एक व्यक्ति का कुछ दूसरे पर शासन नहीं करे तथा जहाँ जाति, वर्ग और अधर्म की समानता हो । गाँधी जी के इसी विचार को सर्वोदय कहा जाता है।

सर्वोदय समाज के प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं

1. आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक तथा अन्य सत्ताओं का विकेन्द्रीकरण ।

2. कुटीर एवं लघु उद्योगों को विकसित कर समाज के प्रत्येक व्यक्ति को आजीविका का साधन उपलब्ध कराना।

3. समाज सुधार तथा ग्राम सुधार के व्यापक कार्यक्रम को अपनाना।

4. जाति, वर्ग तथा साम्प्रदायिकता की भावना को समाप्त करना।

5. नशीले तथा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक पदार्थों के सेवन पर रोक लगाना ।

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