ऊर्जा के अपारंपरिक स्त्रोतों की विवेचना कीजिए। Urja ke Paramparik Strot Ke Vivechana Kijiye
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ऊर्जा के अपारंपरिक स्त्रोतों की विवेचना कीजिए। Urja ke Paramparik Strot Ke Vivechana Kijiye 

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ऊर्जा के अपारंपरिक स्रोत– ऊर्जा के अपारंपरिक स्रोत सूर्य, पवन, ज्वार और लहरें, भू-ताप उत्पाद हैं। इनसे प्राप्त ऊर्जा को क्रमश: सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय और तरंग ऊर्जा, भू-तापीय ऊर्जा और जैव-ऊर्जा कहते हैं।

ये सभी ऊर्जा के सतत पोषणीय स्रोत हैं, ये कभी खत्म नहीं हो सकते और इनका नवीकरण होता रहता है।

ये ऊर्जा स्रोत समान रूप से वितरित तथा पर्यावरण अनुकूल है।

इन स्रोतों का आरंभिक लागत अधिक होता है, किंतु इसके बावजूद ये अधिक टिकाऊ, पारिस्थितिक अनुकूल तथा सस्ती ऊर्जा उपलब्ध कराते हैं।

भारत में ऊर्जा के गैर-परंपरागत स्रोत विपुल हैं और इनका भविष्य उज्ज्वल है।

ऊर्जा विशेषज्ञों के अनुसार भारत में ऊर्जा के इन स्रोतों की अनुमानित उत्पादन क्षमता 93000 मेगावॉट। इनमें से कुछ का ही भारत में उपयोग होता है। है।

संभावना :

i. सौर ऊर्जा— ऊष्ण कटिबंध में स्थित होने के कारण भारत में सौर ऊर्जा की उत्पादन क्षमता और उपयोगिता की अधिक संभावना है।

यहाँ प्रति वर्ग किमी० क्षेत्र में 20 मेगावाट प्रतिवर्ष सौर ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है।

देश के विभिन्न भागों में सौर ऊर्जा बहुत लोकप्रिय हो रही है। इसका उपयोग खाना बनाने, पम्प द्वारा जल निकालने, पानी को गर्म करने तथा रोशनी के लिए किया जा रहा है।

भारत में सबसे बड़ा सौर संयंत्र भुज (गुजरात) में लगाया गया है। राजस्थान के थार मरुस्थल में इसके विकास की अधिक संभावनाएँ हैं।

ii. पवन ऊर्जा— भारत में लगभग 23000 मेगावॉट पवन ऊर्जा की उत्पादन क्षमता है। देश में लगभग 90 स्थानों की पहचान पवन ऊर्जा केन्द्र के रूप में की गई है।

ये स्थान गुजरात, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, केरल, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और लक्षद्वीप में स्थित हैं। गुजरात के कच्छ में लाम्बा का पवन ऊर्जा एशिया का सबसे बड़ा संयंत्र है।

iii. ज्वारीय ऊर्जा— भारत के पश्चिमी समुद्र तट पर इसके विकास की संभावनाएँ हैं। कच्छ और खंभात की खाड़ियों में, जहाँ ऊँचे ज्वार उठते हैं, ज्वारीय ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है।

भूतापीय ऊर्जा- भारत में गर्म जल के अनेक झरने हैं, जिससे विद्युत उत्पन्न कर फ्रीज आदि चलाए जा सकते हैं।

हिमाचल प्रदेश में मणिकर्ण गर्म झरना से यह भूतापीय ऊर्जा उत्पन्न करने का प्रयास चल रहा है।

iv. जैव-ऊर्जा— गन्ना की खोई, धान की भूसी, खेती के कुड़े-कचरे, झाड़-झंखाड़, मानव और पशु मल-मूत्र से बायोगैस पैदा की जा सकती है। भारत के बहुत सारे गाँवों में बायोगैस का उत्पादन किया जा रहा है।

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