भारत एक कृषि प्रधान देश है, जिसके 2/3 लोगों की जीविका कृषि पर आधारित है। कृषि देश की विशाल जनसंख्या के लिए भोजन प्रदान करती है तथा अनेक उद्योगों के लिए, कच्चा माल का स्रोत है।
देश की 24% आय कृषि से प्राप्त होती है। फिर भी भारतीय कृषि अनेक प्राकृतिक, आर्थिक, सामाजिक एवं संरचनात्मक समस्याओं से ग्रस्त हैं।
भारतीय कृषि की मुख्य समस्याएँ एवं उनके समाधान निम्नलिखित हैं—
1. प्राकृतिक समस्याएँ : प्राकृतिक आपदा, जल-जमाव, परती तथा कृषियोग्य बंजरभूमि, मिट्टी अपरदन, मिट्टी का अत्यधिक उपयोग।
2. आर्थिक समस्याएँ : भारत के अधिकांश किसानों की आर्थिक दशा दयनीय है, क्योंकि भूमि पर आधिपत्य में असमानता है, किसान निर्धन हैं, उत्पादन लागत अधिक है, तथा फसल उत्पादन का मूल्य कम मिलता है।
इन समस्याओं का समाधान कृषि भूमि का उचित बँटवारा करके तथा किसानों को खेती करने के लिए उचित अर्थ एवं आदान उपलब्ध कराकर क्रिया जा सकता है।
3. समाजिक समस्याएँ : भारतीय कृषि अनेक सामाजिक समस्याओं से भी ग्रसित हैं। इनमें कृषि- भूमि पर जनसंख्या का बढ़ता बोझ, भूमि सुधार कार्यक्रमों का अप्रभावशाली कार्यान्वयन, किसानों को तिरष्कार की दृष्टि से देखना तथा शिक्षा की कमी उल्लेखनीय है।
4. संरचनात्मक समस्याएँ : भारत में कृषि संबंधी अधिसंरचना की कमी है। देश के मात्र एक तिहाई कृषि क्षेत्रों को सिंचाई की सुविधा प्राप्त है।
रासायनिक खाद, उन्नत बीज, ऋण सुविधा इत्यादि का अभाव है। यातायात के साधन, भंडारण तथा व्यवस्थित बाजार के अभाव में बिचौलिये उनका शोषण करते हैं।
खेती का ढंग पुराना है, खेती में दुर्बल पशु का प्रयोग होता है और उनके लिए चारा की कमी है। परिणामस्वरूप यहाँ प्रति हेक्टेयर उत्पादन कम है।
प्रति हेक्टेयर उत्पादन बढ़ाने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं—
- सिंचाई की व्यवस्था, बाढ़ और सूखा से सुरक्षा
- उर्वरक का प्रयोग
- कीट एवं रोग नाशक दवाएँ और पौधा संरक्षण
- उन्नत संकर बीज का प्रयोग
- मिट्टी सर्वेक्षण, उर्वरीकरण एवं संरक्षण
- गहन जुताई, कटाई और परिष्करण के लिए कृषि यंत्रों की व्यवस्था
- विद्युत, यातायात, भंडारण, क्रय-विक्रय (विपणन) की व्यवस्था
- लागत के अनुसार उपज का मूल्य-निर्धारण
- जोतों का एकीकरण और
- कृषि-मंडियों की स्थापना