सामान्यतः परिवार में जो वातावरण पाया जाता है उसका भाषायी क्षमता पर पूर्ण प्रभाव पड़ता है। उदाहरणार्थ, जिन परिवारों में भाषायी दृष्टि से शुद्ध उच्चारण एवं साहित्यिक शब्दों से युक्त भाषा का प्रयोग किया जाता है वहाँ बालकों की भाषायी क्षमता में वृद्धि होती है।
अर्थात् उन परिवारों के बालकों की भाषा में प्रभावशीलता एवं ओज होता है। इसके विपरीत स्थिति में जिन परिवारों में अशुद्ध भाषा का प्रयोग होता है तथा निरर्थक शब्दों का प्रयोग अधिक होता है ऐसी स्थिति में बालकों की भाषा में प्रभावहीनता उत्पन्न हो जाती है तथा छात्रों की भाषायी क्षमता की दृष्टि से उचित विकास नहीं होता।
अतः कहा जा सकता है कि स्कूल के बाहर सीखी हुई भाषा, भाषा शिक्षण में मददगार होती है।