लिखना सिखाने के उभरते आयाम को स्पष्ट कीजिए। Likhna Sikhane Ke Ubharte Aayam Ko Spasht Kijiye.
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लिखना सिखाने के उभरते आयाम को स्पष्ट कीजिए। Likhna Sikhane Ke Ubharte Aayam Ko Spasht Kijiye.

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लेखन एक संरचनात्मक प्रक्रिया है जिसमें लेखक स्वयं को जान पाता है अपने विचारों तक पहुँचने व उनके आविष्कार की प्रक्रिया है । लेखन, एक प्रकार से अर्थ निर्माण की प्रक्रिया है। लेखन सीखने की प्रक्रिया जीवनपर्यन्त चलती रहती है। लेखन से हमें हर्षोन्नाद एवं पीड़ा से भरे दोनों ही प्रकार के क्षण प्रदान करता है।

हम लेखन के प्रति एक प्रेम घृणा का सम्बन्ध विकसित कर लेते हैं, क्योंकि लेखन एक कष्टकर सुख है। प्रायः यह गलत मान्यता प्रचलित है कि "एक अच्छा वाचक एक अच्छा लेखक भी होता है।" परन्तु यह आवश्यक नहीं की लिखना और बोलना सम्प्रेषण की विधियाँ हैं। लेखन बोली की नकल से कहीं बढ़कर है। बोली/भाषा प्राकृतिक एवं मूल प्रवृत्तिक होती है। 

प्रत्येक सामान्य व्यक्ति अपनी मातृभाषा बोलना सीखता है, परन्तु हर कोई अपनी मातृभाषा तक में लिखने में निपुणता प्राप्त नहीं कर पाता। प्रायः लेखक के पास सम्प्रेषण के वे साधन नहीं होते जो एक वक्ता के पास प्राप्त होते हैं हेराल्ड रोसेन के अनुसार- लिखते समय उसका एक हाथ पीछे रहता है, क्योंकि उसके शारीरिक हाव-भाव छीन लिये जाते हैं। 

उससे उसकी वाणी की बात भी छीन ली जाती है, उसे एकालाप करने पर मजबूर कर दिया जाता है, उसकी सहायता के लिये कोई नहीं होता जो निस्तब्धताओं को पूरित करे, जो उसके मुख में शब्द डाल दें या जो प्रोत्साहक आवाज निकालें।

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