सन् 1857 ई० के विद्रोह में मुगल बादशाह बहादुरशाह का महत्त्वपूर्ण योगदान था। यह विद्रोह उन्हीं के नेतृत्व में लड़ा गया।
यद्यपि वे कमजोर और वृद्ध थे तथापि उन्होंने विद्रोहियों का नेतृत्व संभाला। वे विद्रोहियों के शक्ति के प्रतीक थे।
इसलिए विद्रोह की असफलता के बाद उन्हें महंगी कीमत चुकानी पड़ी। उन्हें गिरफ्तार करके रंगुन में निर्वासित कर दिया गया जहाँ उनकी मृत्यु हो गयी।
उनके सामने ही उनके पुत्रों और पौत्रों की हत्या कर दी गयी। विद्रोह में भाग लेने के कारण मुगलों का शासन ही समाप्त कर दिया गया।
इस प्रकार बहादुरशाह ने इस विद्रोह में भाग लेकर अपना सर्वस्व गँवा दिया।