भाषा की उत्पत्ति का अभिप्राय यह है कि मनुष्य को ध्वनन् की शक्ति कब प्राप्त हुई और उच्चरित ध्वनि तथा उसके अर्थ में संसर्ग-स्थापना करना उसने कब और कैसे सिखा। ध्वनन् के सम्बन्ध में इतना तो अवश्य कहा जा सकता है कि अन्य प्राणियों की भाँति मनुष्य ने भी जन्म से ही ध्वनन् की शक्ति प्राप्त की होगी और शनैः शनैः यह क्रम आगे बढ़ा। मनुष्य ने 'का-का' ध्वनि से 'काक' तथा 'काक' ध्वनि से कोयल एवं 'झर-झर' ध्वनि से 'निर्झर' का बोध प्राप्त किया । भाषा उसी दिन से आकारित हो गयी होगी ।