सुरक्षा परिषद् के संगठन और कार्यों का वर्णन करें। Suraksha Parishad Ke Sangathan Aur Karyon Ka Varnan Karen.
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सुरक्षा परिषद् के संगठन और कार्यों का वर्णन करें। Suraksha Parishad Ke Sangathan Aur Karyon Ka Varnan Karen.

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सुरक्षा परिषद में संयुक्त राष्ट्र संघ के 15 सदस्य होते हैं। चार्टर में मूलतः 11 सदस्यों की व्यवस्था थी जिसमें 5 स्थायी सदस्य थे तथा शेष 6 अस्थायी सदस्य। बाद में (1965) में बढ़ाकर 15 कर दिया गया।

सुरक्षा परिषद के पाँच सदस्य स्थायी होते हैं। ये सदस्य राष्ट्र हैं – संयुक्त राज्य अमेरिका, सोवियत रूस, ग्रेट ब्रिटेन, फ्रांस और साम्यवादी चीन । शेष 10 अस्थायी सदस्यों का चुनाव आमसभा द्वारा 1 वर्ष के लिए होता है। इसमें 5 स्थान अफ्रीकी - एशियाई राज्यों, 2 स्थान लैटिन अमेरिकी राज्यों, 2 स्थान पश्चिमी यूरोपीय तथा अन्य राज्यों और एक स्थान पूर्वी यूरोपीय देशों को मिलना चाहिए। इस प्रकार भौगोलिक क्षेत्रों का सुरक्षा परिषद् में प्रतिनिधित्व का ख्याल रखा गया है। भारत भी एक बार अस्थायी सदस्य रह चुका है।

चार्टर में यह व्यवस्था की गयी है कि वह राष्ट्र भी सुरक्षा परिषद् की कार्यवाहियों में भाग ले सकता है जो उसका सदस्य नहीं भी हो । सुरक्षा परिषद् आवश्यकता पड़ने पर ऐसी आज्ञा दे सुरक्षा सकती है लेकिन उन राज्यों को मतदान का अधिकार नहीं होगा। परिषद् के सदस्यों में परिषद् की अध्यक्षता अंग्रेजी वर्णमाला के अनुसार सदस्य राष्ट्रों के नामों के क्रम से प्रति मास बदलती है। प्रत्येक अध्यक्ष एक महीना अपने पद पर रहता है यदि अध्यक्ष की सरकार तथा अन्य देश से झगड़ा का प्रश्न सुरक्षा परिषद् के सामने होता है तो अध्यक्ष को हट जाना पड़ता है और उसके स्थान पर दूसरे राज्य का प्रतिनिधि अध्यक्ष होता है।

सुरक्षा परिषद् अपने कार्यों को सम्पादित करने की नियमावली स्वयं बनाती हैं। यह अपने, “यों में समितियों की सहायता लेती है। इसकी दो अस्थायी समितियाँ हैं। (1) विशेषज्ञ समिति या प्रवर समिति जो कार्य पद्धति की नियमावली का कार्य देखती है और (2) नये सदस्यों की भर्ती का काम देखने वाली समिति । इसके अतिरिक्त सुरक्षा परिषद् अपने सहायतार्थ अनेक प्रकार की समितियाँ, आयोग, अन्वेषण आयोग का निर्माण कर सकती है।

सुरक्षा परिषद् की बैठक बराबर होती रहती है। अध्यक्ष को यह अधिकार है कि वह अपनी इच्छा से या किसी एक सदस्य की इच्छा से महामंत्री के अनुरोध पर तथा आमसभा के अनुरोध पर इसकी बैठक बुलवा सकता है।

सुरक्षा परिषद् की शक्तियाँ और कार्य - चार्टर की धाराओं में सुरक्षा परिषद् के कार्यों में और शक्तियों का उल्लेख किया गया है। अन्तर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाये रखने के लिए मुख्य उत्तरदायित्व सुरक्षा परिषद् को सौंपा गया है। इस उत्तरदायित्व के अन्तर्गत परिषद् सदस्य-राष्ट्रों के बदले में काम करती है। सुरक्षा परिषद् अपने कार्यों के वहन में संयुक्त राष्ट्र के उद्देश्य और सिद्धांतों के अनुसार कार्य करेगी। इन उत्तरदायित्वों को निभाने के लिए चार्टर के अध्याय 6, 7, 8 और 12 में विशेष शक्तियाँ दी गयी हैं। सुरक्षा परिषद् प्रतिवर्ष अपना वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत करेगी। इसकी मुख्य शक्तियाँ निम्नांकित हैं

(1) विवादों का शांतिपूर्ण समझौता

(2) क्षेत्रीय व्यवस्थाएँ

(3) आदेशात्मक कार्यवाही

(4) चार्टर में संशोधन ।

सुरक्षा सुरक्षा परिषद् के अन्य कार्य (Other Functions of Security Council) परिषद् सामरिक दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण ट्रस्टी क्षेत्रों का निरीक्षण करती है। सुरक्षा परिषद् को निर्वाचन संबंधी अधिकार प्राप्त है, जिसे अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीशों और महामंत्री के चुनाव में आमसभा के साथ वह हाथ बँटाती है। सुरक्षा परिषद् आमसभा को वार्षिक प्रतिवेदन भेजती है। । सुरक्षा परिषद् किसी मामले में अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय से परामर्श ले सकती है। - मूलत: सुरक्षा परिषद् को राजनीतिक विवादों के क्षेत्र में प्रभावशाली संस्था समझा गया था। इसका प्रभाव और सफल कार्यकरण स्थायी सदस्यों के सहयोग पर निर्भर करता है। लेकिन उसमें सहयोग संस्था ने निषेधाधिकार के प्रयोग द्वारा सुरक्षा परिषद् को असहाय संस्था बना दिया है। विवेचन करें।

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