एन० सी० सी०
व्यक्तिगत आवश्यकताओं से ऊपर राष्ट्रीय आवश्यकतायें होती हैं। राष्ट्र के नागरिक यदि शरीर से दुर्बल हैं या राष्ट्र के पास सबल सैनिक नहीं है, तो कोई भी दूसरा राष्ट्र आकर उसे कभी भी दबा सकता है और अपनी मनमानी करा सकता है। शत्रु को मुँह तोड़ उत्तर देने के लिये यह आवश्यक है कि राष्ट्र के पास पर्याप्त शक्ति सम्पन्न सेना हो। दूसरे, देश के नवयुवकों को स्वस्थ और चरित्रवान बनाने के लिए भी व्यायाम आदि शारीरिक प्रशिक्षण आवश्यक है। आवश्यकता पड़ने पर ये ही नवयुवक देश की सेना में भर्ती होकर देश की अंग्रेजों से रक्षा करने में समर्थ होते हैं। प्रगतिशील राष्ट्रों में प्रत्येक नवयुवक के लिए अनिवार्य सैनिक शिक्षा की व्यवस्था है। इंगलैड में प्रत्येक नवयुवक को एक निश्चित अवधि के लिए सेना में कार्य करना पड़ता है। रूस और अमरीका में भी ऐसी परम्परायें हैं। 1962 में चीनी आक्रमण से शिक्षा लेकर भारत ने भी सैनिक शिक्षा को अनिवार्य घोषित कर दिया है। इससे पूर्व यह एक ऐच्छिक विषय माना गया था।
सैनिक शिक्षा की राष्ट्रीय आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए केन्द्रीय सरकार ने 1956 में पं० हृदयनाथ कुँजरू की अध्यक्षता में नेशनल कैडिट कोर के विषय में विचार करने के लिए एक समिति गठित की थी। इसी समिति की संस्तुति के आधार पर 8 अप्रैल 1957 को संसद में एन० सी० सी० अधिनियम पारित कर दिया गया। इस अधिनियम का मूल उद्देश्य था- “देश के युवकों के चरित्र का विकास करना, उनमें सहयोग और सैनिक भावना को जाग्रत करना, सेना के प्रति उनमें रूचि जगाना तथा आवश्यकता पड़ने पर सेना में प्रवेश के लिये अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा देना।"
देश की सुरक्षा एवं सेवा के लिए एन०सी०सी० का महत्वपूर्ण स्थान है। नवयुवक और नवयुवतियों में सत्यता, ईमानदारी, कर्त्तव्यपरायणता, जागरूकता तथा अनुशासनप्रियता, आदि गुणों का बीजारोपण इस संगठन के माध्यम से सहज रूप से हो जाता है। वे परिश्रमपूर्वक अपना कर्त्तव्य पालन करना जान जाते हैं। एक-दूसरे से मिलकर काम करने की भावना का उनमें उदय होता है, वे देश की सुरक्षा के प्रति जागरूक हो जाते हैं। शत्रु का मुकाबला करने तथा उस पर विजय प्राप्त करने का आत्म-विश्वास उनमें स्वयं जाग्रत हो जाता है। भीरूता और कायरता उनसे दूर भाग जाती है। चतुर्थ पंचवर्षीय योजना के अन्त तक देश में 30 लाख युवक-युवतियाँ एन॰ सी॰सी॰ का प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके थे, जिनमें 15 लाख सीनियर डिवीजन और 15 लाख जूनियर डिवीजन के थे। इस समय वह संख्या 20 लाख से अधिक है। भारतवर्ष में एन० सी० सी० का भविष्य निःसंदेह उज्जवल है। देश को सुरक्षा प्रदान करने में एन सी०सी० निश्चित ही एक अमोध अशस्त्र के समान सफल एवं सहायक सिद्ध होगी। प्रत्येक विद्यार्थी को इसके कार्य-कलापों में मन से और रूचि से भाग लेना चहिए तभी वे देश को भावी संकटो से बचाने में समर्थ हो सकेंगे।