गिरमिटिया मजदूर (Indentured Laborer) औपनिवेशिक देशों के वैसे श्रमिक थे। जिन्हें अनुबंध के अंतर्गत भारत से ले जाया गया।
अनुबंध के अनुसार, उन्हें पाँच वर्षों तक मालिक के साथ काम करना आवश्यक था। इसके बाद ही वे स्वदेश लौट सकते थे।
इस अनुबंध व्यवस्था ने एक नई दास प्रथा को जन्म दिया। इन्हें पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिमी बिहार, पंजाब, हरियाणा से जमैका, फिजी, त्रिनिदाद, टोबैगो, मॉरीशस आदि देशों में ले जाया गया।
इन्हें मुख्यतः नगदी फसलों (गन्ना) के उत्पादन में लगाया जाता था। अंततः सन् 1921 ई० में ब्रिटिश सरकार (British Government) ने यह व्यवस्था बंद कर दी।