आधुनिक राजनीति विज्ञान की विशेषता, प्रकृति, विषय तथा क्षेत्र स्पष्ट कीजिए।
401 views
5 Votes
5 Votes
आधुनिक राजनीति विज्ञान की विशेषता, प्रकृति, विषय तथा क्षेत्र स्पष्ट कीजिए।

1 Answer

1 Vote
1 Vote
 
Best answer

आधुनिक काल (Modern Period) में व्यवहारवादी आंदोलन ने राजनीतिशास्त्र के स्वरूप में क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया है।

आज राजनीतिशास्त्र के अन्तर्गत मनुष्य, सरकार तथा राज्य के अलावा मानव जीवन से सम्बद्ध विभिन्न सामाजिक, आर्थिक बातों का भी अध्ययन प्रारम्भ कर दिया गया है।

आज का राजनीतिशास्त्र मनुष्य का अध्ययन न केवल एक राजनीतिक प्राणी के रूप में करता है, वरन् मनुष्य के कार्यों और उसके जीवन को प्रभावित करने वाली समस्त घटनाओं का भी विवेचन करता है।

नए उपागमों की नई प्रवृत्तियों के कारण राजनीति शास्त्र के अध्ययन क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं —

1. शक्ति का अध्ययन : यह आधुनिक राजनीति शास्त्र का केन्द्रीय विषय हो गया है। सुकरात, प्लेटो, अरस्तू, हॉब्स, मेकियाबेली आदि प्राचीन विद्वानों ने भी शक्ति अवधारणा का अध्ययन किया है।

कैटलिन ने राजनीतिशास्त्र को 'शक्ति का विज्ञान' कहा है। हैराल्ड लॉसबेल ने भी कहा है कि राजनीतिशास्त्र के अध्ययन में शक्ति एवं सर्वाधिक मौलिक धारणा है। 

एच. जे. मोरगेथाऊ ने शक्ति के अन्तर्गत उस प्रत्येक शक्ति के विभिन्न रूप, उसकी प्रकृति और प्रयोग तथा शक्ति और प्रभाव का भी अध्ययन किया जाता है।

उसके अलावा आर. एस. मेकाइवर, विलियम ए. रॉन्सन, मैक्स बेबर, बट्रेन्डरसेल, एच. जी. स्मिथ आदि विद्वानों ने भी राजनीतिशास्त्र के अध्ययन के अन्तर्गत 'शक्ति के अध्ययन को शामिल कर लिया है।

2. राजनीतिक क्रिया कलाप का अध्ययन : आधुनिक राजनीतिशास्त्र में विभिन्न राजनीतिक क्रियाकलापों का भी अध्ययन किया जाता है। आज विभिन्न संस्थाओं के ऐतिहासिक अध्ययन के साथ-साथ राज्य, कानून संप्रभुता, अधिकार, न्याय इत्यादि अवधारणाओं और सरकार के कार्यों की भी विवेचना की जा रही है।

यद्यपि यह विवेचना सुकरात के दिनों से ही राजनीति शास्त्र में पाई जाती है।

तथापि उन्नीसवीं शताब्दी के अन्तिम भाग में राजनीतिशास्त्र के विद्वानों ने विभिन्न राजनीतिक संगठनों और प्रक्रियाओं के क्रियात्मक पहलू का अध्ययन प्रारम्भ कर दिया था।

3. सामाजिक मूल्यों का अध्ययन : आधुनिक राजनीतिशास्त्र सामाजिक मूल्यों को भी अपने क्षेत्रान्तर्गत शामिल करता है।

बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ से ही आधुनिक राजनीतिशास्त्रियों ने एक अन्य उपागम आदर्शात्मक निर्देशात्मक को अपनाकर विभिन्न राजनीतिक संस्थाओं और सरकार के विभिन्न रूपों के गुण-दोषों तथा लाभ-हानि का तुलनात्मक अध्ययन प्रारम्भ कर दिया है।

ऐसा अध्ययन करते समय देश में उपलब्ध परिस्थिति को ध्यान में नहीं रखा गया और कतिपय मूल्यों को आधार मानकर राजनीतिक समस्याओं की चर्चा की जाती रही।

प्लेटो, कांट, हेगेल आदि विद्वानों ने आधुनिक राजनीतिशास्त्र के क्षेत्रान्तर्गत सामाजिक मूल्यों की ओर विशेष रूप से ध्यान दिया है।

4. समस्याओं एवं संघर्षों का अध्ययन : आधुनिक राजनीतिशास्त्र के क्षेत्रान्तर्गत विभिन्न समस्याओं और संघर्षों का अध्ययन किया जाता है।

चूँकि, इसका आधार अनुभवात्मक हो गया है, इसलिए इसका सम्बन्ध वास्तविकता, अर्थात् 'क्या है' से हो गया है। यह उन समस्त समस्याओं एवं संघर्षों का अध्ययन करता है।

जिनके कारण राजनीतिक जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ने वाला है। आधुनिक राजनीतिशास्त्र उन समस्याओं एवं संघर्षों की उत्पत्ति का कारण खोजता है और इसके लिए तथ्यों की खोज करता है।

यह देखता है कि विशेष समस्या का जन्म किसी विशेष परिस्थिति में ही क्यों हुआ और उसके पश्चात् किसी निष्कर्ष पर पहुँचने का प्रयास करता है।

5. सहमति एवं सामान्य अभिमतों का अध्ययन : आधुनिक राजनीतिशास्त्र सही निष्कर्ष पर पहुँचने के लिए साक्षात्कारों के माध्यम से तथ्यों को इकट्ठा करता है।

यह समाज के विभिन्न वर्गों की सहमति और अभिमतों का अध्ययन करता है। चुनाव के दौरान किसी विशेष वर्ग की क्या सहमति है।

यह उसे ध्यान में रखना पड़ता है और उसी आधार पर वह किसी ठोस निर्णय पर पहुँचने का प्रयास करता है।

इसके अन्तर्गत वह व्यक्ति की मनोवृत्तियों, अभिप्रेरणाओं एवं उसके ज्ञानबोध का भी अध्ययन करता है।

6. राजनीतिक व्यवहार का अध्ययन : आधुनिक राजनीतिशास्त्र के अनुसार, चूँकि, राजनीति की प्रकृति विशिष्ट है और राजनीतिक तथ्यों, घटनाओं, प्रक्रियाओं, गतिविधियों का किसी न किसी रूप में शान्ति, शासन या सत्ता से संबंध रहता है।

इसलिए नवीन राजनीतिशास्त्र इन्हीं संबंध व्यवहार का अध्ययन करता है जिसे हम राजनीतिक व्यवहार कहते हैं।

आधुनिक राजनीतिशास्त्र के कुछ अन्य क्षेत्र — राजनीतिशास्त्र एक अनुशासन के रूप में अभी तक स्थिर नहीं हो पाया है और इसके उपक्षेत्र में भी अभी अनिश्चित स्थिति में है। फिर भी पुराने उपक्षेत्रों में नया नाम और रूप धारण कर लिया है। इन्हें हम निम्नलिखित रूप में रख सकते हैं।

1. राष्ट्रीय राजनीति (National Politics) : आज राष्ट्रीय राजनीति का पुराना क्षेत्र समाप्त सा हो गया है। उसका स्थान विभिन्न अन्तर्वर्गीय और कार्यात्मक विषयों ने ले लिया है।

जैसे कार्यपालिका के अध्यक्ष के साथ-साथ राजनीतिक नेतृत्व और श्रेष्ठजनवाद को शोध का मुख्य विषय माना जा रहा है।

आज यह धारणा बन गई है कि संस्थाओं के स्थान पर या उनके साथ-साथ इन क्षेत्रों में व्यवहार के अध्ययन का विशेष उपयोग है।

इसके अन्तर्गत मतदान, मतदान - व्यवहार, राजनीतिक भर्ती, नेतृत्व इत्यादि नए विषय आते हैं।

2. तुलनात्मक राजनीति ( Comparative politics) : सन् 1960 ई० तक तुलनात्मक सरकार के अध्ययन पर व्यवहारवादी आन्दोलन का प्रभाव पड़ा।

परिणामस्वरूप, इसमें तेजी से परिवर्तन आने लगे। राष्ट्रीय राजनीति की भाँति तुलनात्मक राजनीति के क्षेत्र में भी आकार संरचनाओं के स्थान पर व्यवहार का अध्ययन किया जाने लगा।

विनिश्चय सिद्धान्त, नेतृत्व, राजनीतिक अभिप्रेरणा और व्यक्तित्व, राजनीतिक सहभागिता, विचारधारा और इसी प्रकार के अन्य विषय तुलनात्मक शोध के प्रमुख विषय बन गए।

इसके अलावा, किसी देश की आन्तरिक राजनीतिक व्यवस्था के सैद्धांतिक विश्लेषण में भी तुलनात्मक अनुसंधानों का बड़ा योगदान रहा।

3. अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति (International politics) : व्यवहारवादी आन्दोलन ने अन्तर्राष्ट्रीय मामलों के शोध के संबंध में भी महत्वपूर्ण परिवर्तन लाया है।

राजनीति के इस क्षेत्र को पहले अन्तर्राष्ट्रीय संबंध और संगठन कहा जाता था, लेकिन 20वीं शताब्दी के मध्य तक इसे अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं, विभिन्न देशों की वैदेशिक नीतियों और राजस्व का अध्ययन किया जाता था।

आज राष्ट्रीय राजनीतिक पद्धति के साथ-साथ अन्तर्राष्ट्रीय राजनीतिक पद्धति ने अपने-अपने दृष्टिकोण से अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति का विवेचन किया है।

Selected by

RELATED DOUBTS

Peddia is an Online Question and Answer Website, That Helps You To Prepare India's All States Boards & Competitive Exams Like IIT-JEE, NEET, AIIMS, AIPMT, SSC, BANKING, BSEB, UP Board, RBSE, HPBOSE, MPBSE, CBSE & Other General Exams.
If You Have Any Query/Suggestion Regarding This Website or Post, Please Contact Us On : [email protected]

CATEGORIES