प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से कवि गुरुगोविन्द सिंह ने स्पष्ट किया है, कि सारे मानव के लिए सेव्य अर्थात् सेवा करने योग्य एक ही गुरुरूप परमात्मा है। सारे मानव के आकार-प्रकार एवं क्रिया-कलाप एकसमान हैं, तो आपसी भेदभाव व्यर्थ है। सभी मनुष्य में समान रूप से ईश्वरीय अंश विद्यमान है, अतः सभी मनुष्य समान हैं। सभी एक ही ईश्वर के प्रकाश से प्रकाशित हैं।
गुरु गोविंद सिंह का बचपन का नाम गोविंद राय था। गुरु गोविंद सिंह का जन्म पटना के बिहार में 22 दिसंबर 1666 हुआ और उनकी मृत्यु 7 अक्टूबर 1708 हुआ था।
गुरु गोविंद सिंह की मृत्यु के समय उनका उम्र 42 वर्ष था। इनकी मृत्यु महाराष्ट्र के नांदेड़ में हुआ था। गुरु गोविंद सिंह सिख धर्म के दसवें गुरु थे।
गुरु गोविंद सिंह के माता का नाम गुजरी तथा पिता श्री गुरु तेग बहादुर जी थे।