एक ही भाषा के अनेक रूप को स्पष्ट कीजिए । Ek Hi Bhasha Ke Anek Roop Ko Spasht Kijiye.
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एक ही भाषा के अनेक रूप को स्पष्ट कीजिए । Ek Hi Bhasha Ke Anek Roop Ko Spasht Kijiye.

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क्षेत्रीय बोलियों से कई गलत कहानियाँ जुड़ी हैं। ऐसा कई बार सोचा जाता है कि बोलियाँ केवल कुछ लोग ही बोलते हैं।

 इन्हें अक्सर नीचा, देहाती, गँवार समझा जाता है, लेकिन वे यह नहीं देख पाते कि शहरों में भी एक ही भाषा के अनेक रूप अथवा बोलियाँ इस्तेमाल होती हैं और यह बढ़ रही हैं। 

ऐसी बोलियों को प्रायः किसी मानक भाषा का विश्व रूप सोचा जाता है।

 यह कई तरह से दिखाता है। जैसे यह कहते हैं कि अमुक व्यक्ति शुद्ध अंग्रेजी भाषा बोलता है और इसमें बोली का कोई नहीं है।

 यह बात ध्यान में नहीं रखी गई है कि मानक अंग्रेजी उसी तरह की एक बोली है जैसे कोई और अंग्रेजी की बोली। सभी भाषाओं को बोलियों का एक इन्द्रधनुष माना जाता है।

 कई बार यह भी सोचा जाता है कि दूरस्थ भाषा जिसे लिखा नहीं जा सकता वह बोली है और उसमें भी कुछ आदिम अथवा पिछड़ी बोलियाँ हैं।

 एक ही भाषा के अनेक रूप रहते हैं ।

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