भारत सरकार ने 31 मार्च 1992 को पाँच वर्षों के लिए अपनी नयी आयात-निर्यात नीति की घोषणा की। वही नीति लगभग आज भी है। इस नयी नीति द्वारा निर्यातों में वृद्धि करने के लिए नियंत्रणों को कम करने तथा अधिक स्वतंत्रता देने पर बल दिया गया है। इस नयी नीति के कुछ बातों पर विशेष जोर दिया गया है। जैसे भारत के विदेश व्यापार को विश्वस्तरीय बनाने के लिए इसकी संरचना पर जोर दिया गया है, दूसरा निर्यात क्षमता को बढ़ावा देने के लिए भारतीय उद्योगों में उत्पादकता, आधुनिकीकरण एवं प्रतियोगी शक्ति के वृद्धि पर बल दिया गया है। तीसरा भारतीय वस्तुओं की गुणवत्ता वृद्धि पर विशेष जोर दिया गया है ताकि उनकी छवि विश्वस्तरीय हो। चौथा, इस नीति द्वारा आयात प्रतिस्थापन एवं आत्म निर्भरता को बढ़ाने पर विशेष बल दिया गया है। पाँचवा, भारत के विदेशी व्यापार की संरचना के अन्तर्गत लाइसेंस एवं अन्य नियंत्रणों को समाप्त किया गया अथवा यथासंभव कम किया गया है। अंतिम आयात तथा निर्यात प्रक्रिया को काफी सरल बना दिया गया है। इसके साथ ही विश्व बाजार से कच्चे माल, पूँजीगत वस्तुएँ, कल-पूर्जे आदि की व्यवस्था कर भारतीय निर्माण में वृद्धि करना है। इस प्रकार इस नयी आयात निर्यात नीति द्वारा देश को सभी दृष्टि से सक्षम बनाने का भरपूर प्रयास किया गया है।