सतत पोषणीय विकास की अवधारणा का वर्णन करें। Satat Poshniya Vikas Ki Avdharna Ka Varnan Karen
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सतत पोषणीय विकास की अवधारणा का वर्णन करें। Satat Poshniya Vikas Ki Avdharna Ka Varnan Karen

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संयुक्त राष्ट्रसंघ रिपोर्ट आवर कॉमन फ्यूचर के अनुसार सतत पोषणीय विकास (Sustainable development) का अर्थ है— एक ऐसा विकास जिसमें भविष्य में आने वाली पीढ़ियों की आवश्यकता की पूर्ति को प्रभावित किए बिना वर्तमान पीढ़ी द्वारा अपनी आवश्यकता की पूर्ति करना।

इसका अर्थ यह है कि मृदा या वन जैसे मूल्यवान संसाधनों का उपयोग इस गति से किया जाए ताकि इससे पर्यावरण संतुलन भी कायम रहे और इसका प्राकृतिक रूप से पुनरस्थापन या पुनश्चक्रण हो सके और भविष्य में लोगों के लिए भी ये संसाधन बचे रहें।

इस प्रकार, सतत पोषणीय विकास (sustainable development) के दो दृष्टिकोण है— 

  • पर्यावरणीय दृष्टिकोण और
  • आर्थिक दृष्टिकोण

सतत पोषणीय विकास का उद्देश्य आज की और भावी पीढ़ियों के प्रत्येक व्यक्ति के बेहतर जीवन को सुरक्षित करना है।

यह एक ऐसी सामाजिक प्रगति है, जिसमें प्रत्येक की आवश्यकता पूरी होती है, पर्यावरण की सुरक्षा होती है, प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग होता है और आर्थिक वृद्धि और रोजगार के उच्च और स्थिर स्तर बने रहते हैं।

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