भाव स्पष्ट करें- सूखी नदी का पुल! पिछली बार आई थी तव नदी में पानी था और सीमेट के पुल की जगह काठ का पुल था- कठपुल्ला। नदी सूख गई है अब रेत ही रेत ! रेत की नदी।
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भाव स्पष्ट करें- सूखी नदी का पुल! पिछली बार आई थी तव नदी में पानी था और सीमेट के पुल की जगह काठ का पुल था- कठपुल्ला। नदी सूख गई है अब रेत ही रेत ! रेत की नदी।

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उत्तर : प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक रामधारी सिंह दिवाकर ने आधुनिक गाँवों के बदले स्वरूप का चित्रण किया है। लीलावती अपने नैहर आई है। पिछली बार की अपेक्षा इस बार वह ग्रामीण परिवेश में बदलाव का अनुभव करती है। पिछली बार जब वह आई थी उस समय गाँव की नदी में पानी था और नदी पर काठ का पुल था। इस बार नदी सूख गई है और उस पर काठ के पुल की जगह सीमेंट का पुल है। नदी में पानी की जगह बालू-ही-बालू है। उसके इस अनुभव के माध्यम से लेखक यह बताना चाहता है कि आधुनिक गाँव में विकास तो हुआ है, किन्तु सामाजिकता का ह्रास, हो गया है। नदी के सूखे पानी की तरह लोगों की मानवता भी मर चुकी है। तात्पर्य यह कि ग्रामीणों में आपसी भाईचारे, सद्भाव, प्रेम, सहानुभूति आदि की भावना समाप्त हो गई है।

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