भाषा के इस्तेमाल में ये गलतियाँ ही सिखाती हैं, वैसे कोई भी गलतियाँ किए बिना सीख ही नहीं सकता चाहे वह भाषा हो या कुछ। गलतियों के आधार पर नई बात सीखी जाती है। भाषा के सन्दर्भ में जिन्हें हम गलतियाँ कहते हैं, वह इस बात का भी दर्पण है कि बच्चे के चारों तरफ कैसी भाषा प्रयोग की जाती है। जिसे हम आमतौर पर गलतियाँ करना कहते हैं शायद वह भाषा बदलने की प्रक्रिया आवश्यक अंक भी है।
यदि भाषा स्थायी रूप से मानकीकृत हो जाए और कोई नयापन या परिवर्तन न होने पर भाषा बोरियत हो जाएगी। गलतियाँ सुधारने की अपेक्षा उन्हें बढ़ावा देना चाहिए था, उनकी अपनी भाषा की इस्तेमाल के लिए। उनमें यह विश्वास व आस्था जगाने की कि वह स्कूल में उपयोग की जा सकती है व इस पिछड़ा नहीं समझा जाएगा।