कृत्रिम उपग्रह
जब किसी पिंड को पृथ्वी की पृष्ठ से कुछ ऊपर में फेंककर उसे लगभग 8 x 103 मी० सेकेण्ड क्षैतिज वेग दिया जाता है तो वह पिण्ड पृथ्वी के चारों ओर एक निश्चित कक्षा में परिक्रमण करने लगता है। ऐसे पिण्ड को कृत्रिम उपग्रह कहा जाता है। कृत्रिम उपग्रह को रॉकेट द्वारा कक्षा में स्थापित किया जाता है। साधारण रॉकेट द्वारा उपग्रह को प्रारम्भ में ही इतना वेग नहीं दिया जा सकता है। अतः इसके लिए बहुक्रम (Muitistage) रॉकेट का प्रयोग किया जाता है। बहुक्रम रॉकेट अनेक रॉकेटों का संयोग है, जिसमें प्रत्येक छोटा रॉकेट एक बड़े रॉकेट के शीर्ष पर स्थित रहता है। बहुक्रम रॉकेट का नाशिक (Nose) छोर पर उपग्रह को रखा जाता है। रॉकेट को पहले उदग्र से ऊपर की ओर भेजा जाता है जिससे वह पृथ्वी की संघन वायुमण्डल को कम-से-कम समय में कर ले। रॉकेट में एक विशेष प्रकार का यंत्र लगा रहता है, जिसके द्वारा यह क्षैतिज दिशा में चला जाता है। रॉकेट के पहले क्रम का ईंधन समाप्त होने पर शेष क्रमों से अलग होकर नीचे गिर जाता है। इस समय रॉकेट का दूसरा क्रम अपना काम शुरू करता है। रॉकेट का द्रव्यमान घटने से उसका वेग बढ़ जाता है। कुछ देर के बाद दूसरे क्रम का ईंधन भी समाप्त हो जाता है और वह भी अलग होकर नीचे गिर जाता है। ऐसा तब होता है जब उपग्रह स्थाई कक्षा में पहुँच जाता है। स्थाई कक्षा में पहुँचने पर रॉकेट का तीसरा क्रम कार्य करना प्रारम्भकरता है तथा यह उपग्रह को क्षैतिज दिशा में इतना वेग देता है कि उपग्रह पृथ्वी के चारों ओर निश्चित कक्षा में परिक्रमण करने लगता है। कृत्रिम उपग्रह को इतना वेग दिया जाता है कि उसकी कक्षा हमेशा पृथ्वी के वायुमण्डल से बाहर रहे। ऐसा नहीं होने पर वायुमण्डल के घर्षण से इतनी ऊष्मा उत्पन्न होगी कि उपग्रह जलकर नष्ट हो जायगा। इसे कक्षा में भेजते समय वायु मण्डलीय घर्षण से बचाने के लिए इसके ऊपर विशेष अग्निरोधक वस्तुओं का लेप चढ़ा दिया जाता है। कृत्रिम उपग्रहों को पृथ्वी के अलावा दूसरे ग्रहों की कक्षाओं में भी स्थापित किया जा सकता है।
कृत्रिम उपग्रह के उपयोग : कृत्रिम उपग्रह के निम्नलिखित उपयोग हैं:-
(i) रेडियो व टेलिविजन प्रोग्रामों के प्रसारण में,(ii) मानव के अंतरिक्ष यात्रा में, (iii) वायुमण्डल के ऊपरी भागों के अध्ययन में, (iv) मौसम की पूर्व सूचना के लिए, (v) युद्ध सम्बन्धी बातों का पता लगाने में, (vi) खनिजों का पता लगाने में, (vii) विमान चालक के लिए शिक्षा निर्देशक के रूप में, (viii) सुपर संचार व्यवस्था स्थापित करने में, (ix) अन्य ग्रहों के बारे में पता लगाने में आदि।