इटली (Italy) के एकीकरण में मेजिनी का बहुमूल्य योगदान था। शायद यही कारण हैं कि उसे इटली के एकीकरण का मसीहा कहा जाता है।
वह दार्शनिक साहित्यकार, राजनेता और गणतंत्र का समर्थक था, परंतु उसमें आदर्शवादी गुण अधिक और व्यवहारिक गुण कम थे।
मेजनी (Mejinee) जन्म सन् 1805 ई० में जिनोआ नगर में हुआ था। वह तरुणावस्था से ही गुप्त राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेता था।
उसने कार्बोनारी नामक गुप्त संगठन की सदस्यता ग्रहण की। सन् 1821 ई० में नेपल्स के विद्रोह को जिस तरह दबाया गया उससे क्षुब्ध होकर उसने काला वस्त्र पहनना आरंभ किया।
विद्रोह में सक्रिय रूप से भाग लेने के कारण उसे कुछ वर्ष कारावास में व्यतीत करना पड़ा। जेल से छूटकर वह विदेश चला गया।
गणतंत्रवादी उद्देश्यों के प्रचार के लिए उसने क्रमशः यंग इटली (1831), यंग यूरोप (1834) तथा फ्रेंड्स ऑफ इटली नामक संस्थाओं का गठन किया।
मेटरनिक के पतन के बाद वह इटली वापस लौटा। मेजिनी जनसंप्रभुता के सिद्धांत में विश्वास रखता था। उसने जनता-जनार्दन तथा इटली का नारा दिया।
उसका उद्देश्य ऑस्ट्रिया (Austria) के प्रभाव से इटली को मुक्त करवाना तथा संपूर्ण इटली का एकीकरण करना था।
मेजिनी गणतंत्रवादी था, राजतंत्र में उसकी आस्था नहीं थी। वह संपूर्ण इटली को गणतंत्रात्मक राज्य में परिणत करना चाहता था।
इसके विपरीत सार्डिनिया-पिडमौंट का राजा चार्ल्स एलबर्ट अपने नेतृत्व में इटली का एकीकरण करना चाहता था।
पोप भी अपने अधीन इटली का एकीकरण करना चाहता था। स्वार्थों की आपसी टकराहट में मेजिनी के समय में इटली का एकीकरण नहीं हो सका।
अंततः , निराश होकर वह इटली से बाहर चला गया। मेजिनी द्वारा आरंभ किया गया प्रयास आगे सफल हुआ और इटली का एकीकरण हुआ।