भूमिका
प्राकृतिक कारणों से जलवायु में हमेशा परिवर्तन होता है। आज से साढ़े छह करोड़ साल पहले धरती बहुत गर्म थी तो दस- ग्यारह हजार साल पहले पूरी धरती बर्फ में परिवर्तित हो गई थी।
लेकिन, आज जलवायु में अप्राकृतिक एवं असामान्य परिवर्तन मानव गतिविधियों के चलते हो रहा है।
लक्षण
जलवायु में आश्चर्यजनक परिवर्तन धरती के लिए सबसे बड़ा संकट है।
हर आदमी को इस समस्या की गंभीरता का अहसास होना चाहिए। क्या हमने कभी सोचा है कि मौसम में ये बदलाव क्यों दिखाई दे रहे हैं?
गर्मियाँ और गर्म होती जा रही हैं। सर्दियों की समय-सीमा छोटी होती जा रही है। बेमौसम बारिश और बढ़ती प्राकृतिक आपदाएँ किसके संकेत हैं?
जीव-जंतु की अनेक प्रजातियाँ लुप्त हो रही हैं। फसलों की पैदावार कम हो गई है। तरह-तरह की बीमारियों का आतंक है। पेयजल का संकट गहराता जा रहा है।
जलस्तर लगातार गिरता जा रहा है। समुद्रतल बढ़ रहा है। इन सबके लिए जलवायु परिवर्तन ही जिम्मेवार है, और जलवायु परिवर्तन के जिम्मेवार इस धरती के नासमझ लोग हैं।
कारण
तापक्रम, बारिश एवं बर्फबारी के आँकड़ों के तुलनात्मक अध्ययन से इसे प्रमाणित किया जा चुका है।
वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों की बढ़ती मात्रा से पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है।
औद्योगिक क्रांति के चलते वायुमंडल में कार्बन डाइऑ क्साइड की मात्रा में चालीस प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
उपभोक्तावादी प्रवृत्ति के चलते मानवों ने प्राकृतिक 'कार्बन-चक्र' को ध्वस्त किया है। परिणामस्वरूप, धरती विनाश के कगार पर आ खड़ी है।
निवारण
हम और आप भी अपनी-अपनी दिनचर्या में सुधार लाकर और छोटी-छोटी बातों को अपनाकर सदी के सबसे बड़े संकट – 'जलवायु परिवर्तन' की लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं और धरती को सुरक्षा प्रदानकर अपने को सुरक्षित रख सकते हैं।
हमें प्लास्टिक की थैलियों से परहेज करना चाहिए। साइकिल या सार्वजनिक यातायात के प्रयोग से हम पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं।
कागज की बर्बादी से पृथ्वी के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है, क्योंकि कागज का निर्माण पेड़-पौधों से ही होता है। पौधे लगाकर और वनों को सुरक्षित रख कर हम जलवायु के असामयिक परिवर्तन को रोक सकते हैं।