विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध। Vidyarthi Aur Anushasan Par Nibandh
अनुशासन (Discipline) के अभाव में किसी भी क्षेत्र में सफलता की कल्पना नहीं की जा सकती। अनुशासन न हो, तो स्वतंत्रता, स्वच्छंदता बन जाती है, जो व्यक्ति, परिवार, समाज और राष्ट्र को बरबाद कर देती है।
व्यक्ति, परिवार, समाज और राष्ट्र की प्रगति अनुशासन पर ही टिकी है।
अनुशासित छात्र (Disciplined Student) अपने उद्देश्य की प्राप्ति में सफल होता है। अनुशासित छात्र अपना हितैषी तो होता ही है, वह अपने समाज और देश का भी हितैषी होता है।
जीवन के हर क्षेत्र में अनुशासन आवश्यक है, पर छात्र जीवन में तो इसका महत्त्व और बढ़ जाता है, क्योंकि संपूर्ण जीवन की सकल, समृद्धि छात्र जीवन की सफलता पर ही निर्भर है।
अतः, यह आवश्यक है, कि छात्रों को शुरू से ही अनुशासन के प्रति जागरित किया जाए।
अनुशासन का महत्त्व। Importance Of Discipline
अनुशासन राष्ट्र का प्राण है। यह परिष्कार की अग्नि है, जिससे प्रतिभा योग्यता बन जाती है।
महात्मा गाँधी ने अनुशासन की महत्ता का प्रतिपादन करते हुए कहा है —
आत्मसंयम, अनुशासन और बलिदान के बिना राहत या मुक्ति की आशा नहीं की जा सकती।
अनुशासनहीन बलिदान से भी काम नहीं चलेगा। यानी त्याग, बलिदान और समर्पण में भी अनुशासन की जरूरत है।
अनुशासन सर्वोच्च नैतिकता है। दूसरों पर अनुशासन करने के पूर्व अपने पर अनुशासन रखने की जरूरत पड़ती है।
अनुशासन की प्रकृति कठोर दिखाई पड़ती है, पर वास्तविकता यह है, कि इसकी कठोरता शिष्ट स्वीकार से करुणा में परिवर्तित हो जाती है। ऐसी करुणा किसी को भी धन्य बना सकती है।
अनुशासन का मार्गदर्शन। Guidance of Discipline
अनुशासन पितातुल्य मार्गदर्शक होता है। यह सफलता और प्रगति का सही मार्ग और दिशा निर्दिष्ट करता है।
अनुशासन द्वारा निर्दिष्ट मार्ग पर और आदिष्ट दिशा में चलने वाले विद्यार्थी कभी विफल नहीं होते। छात्र, राष्ट्र के भावी कर्णधार हैं। यदि ये अनुशासित होते हैं, तो राष्ट्र का भविष्य भी समुज्ज्वल होगा।