बच्चे अपने आस-पास की बातों को कितनी बारीकी से देखते और समझते हैं यह जाँच करना अध्यापक का कार्य होता है। वे कितना याद रख पाते हैं, कितना महसूस करते और कितना ध्यान दे पाते हैं यह भी अध्यापक पर निर्भर करता है क्योंकि ये सारी बातें कक्षा 3 के बच्चों व अध्यापक बीच होती है। कक्षा तीसरी के बच्चे बहुत छोटे होते हैं इसलिए उन्हें सरल अध्ययन के द्वारा शिक्षा देनी चाहिए। तीसरी कक्षा में इनके काम को स्थानीय कुदरती लोगों से कुछ आगे बढ़कर कुछ जीवों तक ले जाया जाता है। इसके अलावा इन बच्चों को अलग-अलग प्रकार से प्रयोग द्वारा शिक्षा देने का प्रावधान भी है।
बच्चों को पर्यावरण के बीच ले जाकर उसके विषय में ज्ञान देना बच्चों के स्तर पर सरल हो जाता है। प्रत्यक्ष रूप से दिखा कर कही या समझाई गई बात मस्तिष्क में जल्दी प्रवेश करती है और लम्बे समय तक बनी रहती है। प्रत्यक्ष ज्ञान देने के उपरांत बच्चों की समझ की जानकारी लेने हेतु उनसे उस विषय पर प्रश्न करना चाहिए। ऐसा करने पर शिक्षक उनकी पर्यावरणीय समझ की जानकारी का पता लग सकता है।