बिहार की खनिज सम्पदा
बिहार में लगभग 1,500 टन बॉक्साइट (ऐलुमिनियम का खनिज) गया, जमुई एवं बांका जिले में विद्यमान है। लोहे का एक अयस्क मैगनेटाईट का प्राय: 590 टन भंडार पहाड़ियों में है, तथा दक्षिण बिहार की कुछ नदियों की रेत में सोने के कण भी पाए गए हैं। दक्षिणी सीमा पर झारखण्ड से सटे क्षेत्रों में नवादा, जमुई और बांका के व्यापक क्षेत्रों में अधिक पाया जाता है। यहां अभ्रक का कुल भण्डार 60.350 टन है। यहाँ का अभ्रम 'बंगाल रूबी' उच्च कोटी का है। इन्हें मक्कोवाइट भी कहते हैं।
बिहार के पश्चिमी भाग में फैला विन्ध्यन शैल समूह बालू काश्म एवं चूना पत्थर का महत्वपूर्ण भंडार स्रोत है। सबसे बड़ा चूना पत्थर का भंडार रोहतास जिला में स्थित है। पावराईट उत्पादक राज्यों में बिहार का स्थान सबसे महत्वपूर्ण है। राज्य में पायराईट काउत्पादन रोहतास एवं कैमूर जिले में होता है। इस अधात्विक खनिज का उपयोग मुख्यत. रासायनिक और उर्वरक उद्योग के लिए किया जाता है। प्रमुख खादान मुख्यतः कुटियारी और सोन घाटी में स्थित है। वर्तमान में इसका भंडार 52 मिलियन टन आंका गया है। राज्य में इस खनिज संपदा के पूर्ण विदोहन के उद्देश्य से रोहतास अमझोर नामक स्थान पर पायराईट फास्फेट एण्ड केमिकल्स लिमिटेड की स्थापना केन्द्रीय सार्वजनिक उपकरण के रूप में की गई है।चीनी-मिट्टी एक महत्वपूर्ण औद्योगिक खनिज है। राज्य के भागलपुर, बांका, मुंगेर में इसके बड़े भंडार हैं। इसके अलावा मुंगेर जिला के समुखिचा, लेतवा, बारन, कटोरिया भी चीनी-मिट्टी के प्रमुख क्षेत्र हैं। वर्तमान में इसका भंडार 2.02 मिलिटन टन आंका गया है। व्यापक खोज के बाद इस क्षेत्र में चीनी-मिट्टी के भंडार मिलने की संभावना है।जाते हैं। यह खनिज मुख्यत: बिहार के दुधि, जरना, फोना, गोनारा, कजरिया, केरदा, बांका में पाये क्रोमाईट–राज्य के मंदार पहाड़ी से 8 कि०मी० बेदिया चौक के पास क्रोमाइट खनिज भंडार पाया जाता है।यह खनिज प्रमुख रूप से एल्युमिनियम का स्रोत है। वास्तव में यह एल्युमिनियम का कच्चा माल है। यह खनिज बिहार के विशेष क्षेत्रों में पाये जाते हैं। गया और मुंगेर बॉक्साईट उत्पादन के प्रमुख केन्द्र हैं। इस क्षेत्र में 2 हजार मिट्रिक टन भंडार पाये जाने का अनुमान है।
यह खनिज भी अधात्विक प्रकार के हैं जो आर्कियन समूह के क्षेत्र में पाये जाते हैं। इसका प्रयोग रिफ्रेक्टरी उद्योग में होता है। यह खनिज मुख्य रूप से राज्य के बांका, रोहतास और गया जिले में मिलते हैं।
यह राज्य के उत्तरी - पश्चिमी भाग में पाये जाते हैं। बिहार प्राचीन काल से ही शोरा का महत्वपूर्ण उत्पादक क्षेत्र रहा है। यहां के शोरा का उपयोग मुख्यतः विस्फोटक अन्य रासायनिक पदार्थ, उर्वरक आदि के निर्माण हेतु किया जाता है। ईस्ट इंडिया कंपनी ने इस रसायन के निर्माण की शुरूआत की थी। राज्य में शोरा उत्पादन के प्रमुख जिले सारण, पूर्वी चम्पारण, मुजफ्फरपुर हैं। वैसे दूसरे क्षेत्र के अन्तर्गत बिहार की दक्षिणी मध्यवर्ती मैदान के प्रमुख क्षेत्र पटना, नालंदा. जहानाबाद में भी यह खनिज मिलते हैं।
बिहार के तराई क्षेत्र में खनिज तेल एवं गैस संसाधन मिलने के प्रमाण मिले हैं। बिहार के मधुबनी, सीतामढ़ी, पश्चिमी चम्पारण, पूर्णियां एवं कटिहार में खनिज तेल होने की संभावना दिखायी देती है। व्यापक खोज जारी है। यह खोज अभी शुरूआती दौर में है।
यह धात्विक खनिज है। बिहार के जमुई क्षेत्र में करमटिया में सोना के भंडार का अन्वेषण के बाद पता चला है। इस क्षेत्र में स्वर्ण अयस्क का भंडार 128.88 मे० टन आंका गया है, जिसमें 0.167 ग्रा० प्रति टन स्वर्ण धातु पाए जाने की संभावना है।
बिहार में शुद्ध रूप से गंधक कहीं-कहीं विद्यमान है, लेकिन नियोजित स्तर पर उत्पादन नहीं होता। पायराईट से गंधक प्राप्त किया जाता है। रोहतास की अमझोर पहाड़ियों में तथा कैमूर में कूल 98.790 टन पाइराइट का भंडार विद्यमान है।
सोन के तट तथा मुंगेर के गंगातट पर बिहार में सिलिका के भंडार हैं।