गैर परम्परागत ऊर्जा
अपरम्परागत ऊर्जा, जिसे नवीकरणीय ऊर्जा भी कहते हैं, से अभिप्राय ऊर्जा के ऐसे नए स्रोतों से है जिनमें सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, बायोमास, ज्वार ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा, हाइड्रोजन आदि को सम्मिलित किया जाता है। ये प्रदूषण रहित और पर्यावरण स्नेही हैं। एक अनुमान के अनुसार भारत में लगभग 195,000 मेगावाट गैर-परम्परागत ऊर्जा की क्षमता है जिसका 31% सौर ऊर्जा, 30% समुद्री एवं भूतापीय ऊर्जा, 26% बायोमास एवं 13% पवन ऊर्जा के रूप में है। पवन ऊर्जा (Wind Energy)भारत में 45,000 मेगावाट पवन ऊर्जा की क्षमता का अनुमान किया गया है जिसमें से अक्टूबर 2009 तक 11,807 मेगावाट क्षमता विकसित की गयी है। विश्व में भारत पवन ऊर्जा का पांचवा बड़ा उत्पादक देश हो गया है। देश के सागर तटवर्ती एवं नदियों के किनारे के भागों में पवन चक्कियों के माध्यम से पवन ऊर्जा का उत्पादन किया जा सकता है। पवन उर्जा के विकास में तमिलनाडु अग्रणी राज्य है (4,890 MW या 41.42%) । यहाँ मुप्पंडाल-पेंरूगुडी क्षेत्र (कन्याकुमारी के निकट) में सबसे अधिक पवन टरबाइन लगाये गये हैं (क्षमता 360 mw; विश्व में सबसे बड़ा पवन फार्म) । अन्य राज्यों में महाराष्ट्र ( 6.45% ), कर्नाटक ( 11.35% ), गुजरात ( 13.26% लम्बा क्षेत्र) एवं राजस्थान ( 6.25% ) का प्रमुख स्थान है। सौर ऊर्जा (Solar Energy)भारत में प्रति वर्ष 50,000 खरब किलोवाट सौर ऊर्जा प्राप्त होती है। देश के अधिकतर भाग में वर्ष में 300 दिन की धूप रहती है जिसके प्रति वर्ग मीटर क्षेत्र में प्रति घंटा 5-7 किलोवाट सौर ऊर्जा उपलब्ध है। दूसरे शब्दों में देश के प्रति वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 20 मेगावाट सौर बिजली का उत्पादन किया जा सकता है। देश में राजस्थान (2,100 मिगावाट), गुजरात एवं लद्दाख सौर ऊर्जा के विकास के उपयुक्त क्षेत्र हैं। इस समय सौर ऊर्जा को दो भिन्न माध्यमों से प्रयोग में लाया जा रहा है- सौर तापीय माध्यम और सौर फोटो वोल्टेइक माध्यम । भारत विश्व के उन 6 देशों में से एक है जिन्होंने पॉली की सिलिकॉन पदार्थ के निर्माण की प्रौद्योगिकी विकसित की है। सौर सेल, मॉड्यूल और प्रणालियों के उत्पादन में करीब 75 कंपनियाँ लगी हैं। इसी प्रकार 100 से अधिक कंपनियाँ सौर कुकर एवं सौर जल-तापक जैसी तापीय प्रणालियों के स्थानीय उत्पादन में सक्रिय हैं।
समुद्री ऊर्जा (Ocean Energy) समुद्री ऊर्जा के दो प्रमुख स्रोत है- (अ) समुद्री ज्वार, एवं (ब) समुद्री लहरें । यद्यपि देशके तट रेखा की लम्बाई 6100 किमी० है परन्तु ज्वार ऊर्जा के उत्पादन की संभावनाएँ कम हैं। केवल खम्भात की खाड़ी, कच्छ की खाड़ी और हुगली के ज्वारनद मुख के उपयुक्त स्थलों से लगभग 1000 मेगावाट विद्युत का उत्पादन किया जा सकता है। इसी प्रकार समुद्री लहरों में 40,000 मेगावाट विद्युत के उत्पादन की क्षमता है। इस ऊर्जा की मात्रा मानसून काल और पश्चिमी तट के सहारे अपेक्षतया अधिक पाई जाती है। चेन्नई के आई० आई० टी० ने तिरूअनंतपुरम (विझिंगम) के समीप एक संयंत्र लगाया है जिससे समुद्री लहरों द्वारा 150KW बिजली पैदा की जा सकेगी। ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने ऐसे स्थलों से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन गैसों के एकत्रित करने की प्रौद्योगिकी विकसित कर रखी है जिससे उत्पादन लागत को कम करने में मदद मिलेगी। भूतापीय ऊर्जा (Geothermal Energy)भारत में भूतापीय ऊर्जा की लगभग 600 मेगावाट क्षमता का अनुमान है जो लगभग 5,130 मिलियन टन कोयला के बराबर है। एक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार देश में 113 गर्म झरने और 340 स्थान हैं जिनसे भूतापीय ऊर्जा का विकास किया जा सकता है। उत्तर पश्चिम हिमालय श्रेणियाँ (जम्मू एवं काश्मीर की पूगा घाटी एवं हिमाचल प्रदेश का मणिकरन क्षेत्र), पश्चिमी तट (महाराष्ट्र गुजरात), नर्मदा-सोन घाटी एवं दामोदर घाटी देश में भूतापीय ऊर्जा हेतु महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं। हाल ही में छत्तीसगढ़ के तत्तापानी क्षेत्र में 300 किलोवाट क्षमता के भू-तापीय बिजली संयंत्र लगाने की मंजूरी एन० एच० पी० सी० को दी गयी है।
हाइड्रोजन ऊर्जा (Hydrogen Energy):- हाइड्रोजन ऊर्जा एक स्वच्छ और प्रभावी ऊर्जा माध्यम है। इसका इस्तेमाल व्यापक रूप में और जीवाश्म ईंधन के विकल्प के तौर पर किया जा सकता है। ऊर्जा मंत्रालय ईंधन के रूप में हाइड्रोजन के इस्तेमाल, उत्पादन एवं भंडारण के विभिन्न पहलुओं पर अनुसंधान और विकास परियोजनाएँ चला रहा है। हाल ही में हाइड्रोजन ऊर्जा हेतु रोड मैप तैयार करने के लिए एक राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा बोर्ड का गठन किया गया है। बिजली पैदा करने के लिए फ्यूल सेल, छोटे जैनेरटर, दुपहिया और तिपहिया वाहनों, केटालिटिक बर्नरों आदि में हाइड्रोजन के इस्तेमाल को प्रदर्शित किया गया है। हाइड्रोजन पर चलने वाली 10 मोटर साइकिलों की एक पायलट प्रायोजना का फील्ड परीक्षण शुरू किया गया है। इसी प्रकार मद्य निर्माणशालाओं के कचरा में हाइड्रोजन निर्माण हेतु एक पायलट प्लाण्ट की स्थापना की गयी है।