कम्प्यूटर
विज्ञान द्वारा लाये गये आश्चर्यों में कम्प्यूटर नया आश्चर्य है। कम्प्यूटर का अर्थ संगणकयंत्र है। लेकिन आधुनिक कम्प्यूटर न केवल गणना करते हैं, वरन् किसी भी प्रकार के चिह्नों को कई गुणा बढ़ा भी देते हैं। वे मौसम की भविष्यवाणी करते हैं, गणित की जटिल समस्याओं को हल करते हैं, अंतरिक्ष में प्रत्येक परिवर्तन का बारीकी से अध्ययन करते हैं और उनके बारे में संदेश भेजते हैं, महाद्वीपीय प्रक्षेपास्त्रों का नियंत्रण करते हैं, तूफानों की पूर्व चेतावनी देते हैं, अनेक प्रकार की सूचनाएँ एकत्रित करते हैं तथा उनका संरक्षण करते हैं, कारखानों में श्रमिकों की कार्य-विधि, अवकाश और दुर्घटनाओं का अभिलेख रखते हैं और बहुत से ऐसे कार्य करते हैं जो मनुष्यों के लिए श्रम- साध्य, व्यय - साध्य तथा समय- साध्य होते हैं।
कम्प्यूटर सामान्य जनों, श्रमिकों तथा छात्रों के लिए भी महत्वपूर्ण है। आवश्यकतानुसार कम्प्यूटरों की आकृति व कार्य में अनेक अंतर होते हैं। वे आकार में भी भिन्नता रखते हैं। बहुत विशाल और बहुत छोटे। आजकल कम्प्यूटरों का प्रयोग प्रतिदिन बढ़ रहा है।
सामान्य जन द्वारा कम्प्यूटरों को 'विशाल मस्तिष्क' कहा गया है, जो उन बहुत-सी चीजों को कर सकते हैं या नकल कर सकते हैं जो मानव मस्तिष्क करते हैं। सभ्य संचार का माध्यम मस्तिष्क सबसे अधिक उत्तम, परन्तु लघुतम कम्प्यूटर है। मस्तिष्क अधिक सूचनाएँ एकत्रित कर सकता है। इलेक्ट्रॉनिक विज्ञान के विकास के साथ जीवन कम्प्यूटरीकृत हो गया है। कम्प्यूटर नित्य जीवन का अधिकाधिक अंग बन चुके हैं। कहा जा सकता है कि कल का युग कम्प्यूटरों का होगा। प्रारम्भ में कम्प्यूटरों का निर्माण गणितीय अंकों की गणना के लिए किया गया था। लेकिन शीघ्र ही उसका विकास 'स्मृति' अभिलेखों के रूप में किया गया। अब उनका विकास व्यक्तिगत और घरेलू कार्यों, कार्यालयों तथा कारखानों के कामों के लिए किया जा रहा है। कम्प्यूटरों में दो यांत्रिक हाथ जोड़े गए। इससे 'रोबोट' (यंत्र मानव ) का विकास हुआ। यंत्र मानव अब उद्योग में ही नहीं वरन् कार्यालयों, अस्पतालों तथा दुकानों में भी कार्य कर रहे हैं। इन रोबोटों के निर्माण में जापान ने अग्रणी स्थान ग्रहण कर लिया है।
भारत ने भी इलेक्ट्रॉनिकी तथा यंत्र - मानव निर्माण के क्षेत्र में प्रवेश कर लिया है। लेकिनसम्पन्न कार्य अपेक्षा से बहुत कम है। सन् 1978 में भाभा अनुसंधान केन्द्र ने एक ऐसे हाथ का निर्माण किया जो रेडियो-सक्रिय कमरे में संकेत पर कार्य कर सकता था। सन् 1980 में हैदराबाद साइन्स- सोसाइटी ने एक ऐसे यंत्र - मानव को बनाने का प्रयत्न किया जो एक साथ कई मशीनों का संचालन कर सकता था। सन् 1983 में यह सोसाइटी बाल रोबोट तृतीय नामक यंत्र-मानव बनाने में सफल हो गयी | यह पूर्णतया देशी तकनीक ज्ञान पर बनाया गया था। इस सोसाइटी के निदेशक श्री एस॰ ए॰ खाँ को आशा है कि इस दशाब्दी के अन्त तक भारत रोबोटों का निर्यात करने लगेगा और उनसे विदेशी मुद्रा अर्जित करने लगेगा। बंगलौर के आई० वी० एस० कम्पनी ने घरेलू प्रयोगों के लिए एक 'माइक्रो कम्प्यूटर' तैयार किया है। यह अपनी स्मृति में 16 हजार से 32 हजार शब्द तक का संग्रह कर सकता है। इसके समस्त यंत्र सिवाय चिप के देशी हैं। सरकार के लगभग सभी विभागों में कम्प्यूटरों ने प्रवेश कर लिया है। जीवन बीमा निगम में 1966 में कम्प्यूटर लगाए गए। उस समय बेरोजगारी के भय से इनके विरूद्ध तूफान उठ खड़ा हुआ था। परन्तु आज वे बैंकों, बिजली घरों, टेलीफोन और अन्यान्य विभागों में लगाए जा रहे हैं। जैसी कि प्रवृत्ति दिखायी पड़ती है विभिन्न विभागों में अनेकानेक कार्यों में उनके स्थान ग्रहण कर लेने की संभावना प्रतीत होती है। शीघ्र ही रोबोट कारखानों में मनुष्यों के साथ काम करने लगेंगे। इस प्रकार भारत में कम्प्यूटर युग का प्रारम्भ हो गया है। निकट भविष्य में भारत में कम्प्यूटर का उपयोग और भी बढ़ेगा।