अजन्ता
भारतीय चित्रकला का पावन तीर्थ महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में अजन्ता की गुफा के नाम से प्रसिद्ध था। इसकी चित्रकला की प्रमुख विशेषता मात्र रेखाओं के माध्यम से भावों को चित्रित करना था। विश्व में अजन्ता की गुफा ही ऐसा स्थान है, जहाँ रेखाओं के माध्यम से चित्रकारी का भव्य प्रदर्शन हुआ है। चित्रों की सुन्दरता रेखाओं के प्रत्यावर्तन से ही हुई है। अजन्ता की गुफा के चित्रों में प्रकाश, गोलाई एवं उभार को रेखाओं माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। यद्यपि ये रेखायें कहीं मोटी तो कहीं पतली तथा बीच में हो गई हैं, फिर भी कलाकार इन्हीं रेखाओं के माध्यम से भाव प्रगट करने में पूर्णतः सफल रहा है। चित्रों में सुन्दरता आने का प्रमुख कारण रेखाओं का लयात्मक होना है। इसीलिये विद्वानों ने अजन्ता के गुफाओं में रेखाओं के महत्व को स्वीकार किया है। केवल रेखाओं के माध्यम से चित्रकारी विदेशों में किसी भी जगह नहीं मिलती है।भित्तिचित्रों के निर्माण की दृष्टि से अजन्ता की चित्रकला का विशेष महत्त्व है क्योंकि यहाँ की गुफा की दीवारों तथा छतों को अलंकृत किया गया है। अजन्ता की छतों का अलंकरण पशु-पक्षी, देवी-देवताओं के चित्रों के द्वारा किया गया है। यद्यपि उस समय साधन कम थे, फिर भी छतों पर आजेखन मचान चित्रों का आलेखन किया गया है। छतों को अनेक चौखटों में बाँटकर चित्रण किया गया है। कमल के माध्यम से ही अधिकतर आलेखन किया गया है। कमल के अतिरिक्त हस्ति, बैल, बन्दर तथा मानवाकृतियों से भी छतों को अलंकृत किया गया है। आधुनिक युग के चित्रों पर भी अजन्ता के चित्रों का बहुत प्रभाव पड़ा है। छतों का कोई भी भाग अलंकरण से रहित नहीं है। कलाकारों के द्वारा आलेखनों में युगल जोड़ी को भी आलेखित किया गया है। हस्ति का जो कलात्मक रूप जन्ता की गुफा में प्रदर्शित किया गया है, उसमें आधुनिक चित्रकार भी कोई विशेष परिवर्तन नहीं कर सके हैं।
अजन्ता की गुफाओं में चित्रकारों द्वारा प्रकृति चित्रण कलात्मक रूप में प्रस्तुत किया गया है। केला, पीपल, ताड़, बरगद आदि के पेड़ों के अंकन स्वाभाविक रूप से किया गया है। जंगल का दृश्य, गज जातक में पेड़-पौधों तथा तालाब के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। इन चित्रों के रंग का प्रयोग सीमित रूप से किया गया है। उन्होंने पेड़ों, बैलों के अंकन में जो भिन्नता प्रस्तुत की है उससे कलाकारों की योग्यता सिद्ध हुई है। प्राकृतिक चित्रों की सजीवता एवं वास्तविकता दृश्य चित्रों में विशेष रूप से प्रस्तुत हुई है। कलाकारों ने इन चित्रों में, प्राकृतिक छटा का विशेष स्वाभाविक रूप में चित्रण किया है। आधुनिक कलाकारों ने भी प्राकृतिक चित्रण की प्रेरणा अजन्ता के चित्रों से ही प्राप्त की थी। तत्कालीन कलाकारों ने प्राकृतिक साधनों का प्रयोग अपने चित्रों में स्पष्ट रूप से किया है।
अजन्ता की गुफाओं में पशु-पक्षियों तथा गज जातक का विशेष महत्व है क्योंकि पशुपक्षियों तथा गज जातक का जो चित्रण अजन्ता के चित्रों में हुआ है वह विश्व की किसी भी कलाकृति में नहीं है। इन चित्रों में गज का चित्रण विशेष रूप से किया गया है। महात्मा बुद्ध ने पूर्व जन्म में हाथी के रूप में जन्म लिया था। जैसा कि जातक कथाओं में उल्लेख किया गया। इसके अलावा बैल, हिरन, घोड़ा, इत्यादि का भी बड़ी सजीवता एवं भव्यता से चित्रण किया गया है। कुछ चित्रों में कुता तथा बन्दरों को क्रीड़ावस्था में चित्रित किया गया है। जंगल में दर्शाने हेतु कलाकारों ने सिंह का भी चित्रण किया है। कलाकारों द्वारा अपने चित्रों में जिन पक्षियों काकिया गया है उनमें हंस, बत्तख, मोर आदि का विशेष महत्व है। हंसों का विशेष रूप से चित्रण
किया गया है, क्योंकि एक जन्म में महात्मा बुद्ध न हंस के रूप में भी जन्म लिया था। विद्वानों ने अजन्ता की गुफाओं की चित्रकारी को विश्व की अतुलनीय चित्रकारी कहा है, क्योंकि इस चित्रकारी में सर्वप्रथम केवल रेखाओं का ही प्रयोग किया गया है और विश्व की किसी भी चित्रकारी में केवल रेखाओं का प्रयोग नहीं हुआ है। जहाँ तक विषय का प्रश्न है इन चित्रों में, जीवन के विभिन्न पक्षों का उल्लेख किया गया है। नगरों के भोग एवं विलासमय जीवन, भिखारी, युद्ध में रत सैनिक, शिकारी, गाँवों का एकान्त जीवन, मछुए इत्यादि सभी का चित्रण इनमें किया गया है। विद्वानों के अनुसार, अजन्ता की गुफा में धार्मिक जीवन का भी चित्रण हुआ है। इस गुफा की समस्त आकृतियों में जीवन-दर्शन, धर्म का रहस्य आदि सभी कुछ पूर्ण रूप से दृष्टिगोचर होता है। अजन्ता के भित्तिचित्रों में प्राकृतिक पदार्थों से लेकर पशु-पक्षी, देवता, प्रेम के साथ उल्लास एवं करूणा के दर्शन एक साथ होते हैं।