1757 से 1857 ई० के मध्य ईस्ट इंडिया कम्पनी ने छल-प्रपंच, कूटनीति और बल प्रयोग द्वारा लगभग समस्त भारत पर अधिकार कर लिया।
देशी राजाओं को कंपनी की सत्ता स्वीकार करने को बाध्य किया गया। इससे राज्यों में असंतोष था।
इस असंतोष को बढ़ाने में बेलेजली की सहायक संधि, डलहौजी की कुशासन के आधार पर राज्य हड़पने की नीति, गोद-निषेध की नीति, देशी राजाओं, नवाबों, ताल्लुकेदारों की जमींदारियाँ जब्त करने की नीति ने जलती अग्नि में घी डाला।
पेशवा वाजीराव द्वितीय के दत्तकपुत्र नाना साहब की पेंशन बंद करने, मुगलों की सत्ता को समाप्त करने की योजना, झाँसी, नागपुर, सतारा, पंजाब, अवध के अधिग्रहण से देशी राजाओं और जमींदारों का एक वर्ग कंपनी शासन के विरुद्ध संगठित हो गया।