हमारे देश में चार ऋतुएँ होती हैं - ग्रीष्म, वर्षा, जाड़ा और वसंत । विभिन्न ऋतुओं का अपना विशेष सौंदर्य और आकर्षण होता है। ग्रीष्म ऋतु में मीठे आम मिलते हैं, वर्षाऋतु जलती धरती को जीवन प्रदान करती है और जाड़ा हमें आनंदित करता है। प्रत्येक ऋतु अच्छी होती है। विभिन्न लोग विभिन्न ऋतुओं को पसंद करते हैं। प्रत्येक व्यक्ति की अपनी पसंद और नापंसद होती है। मैं सभी ऋतुओं में वसंतऋतु को सबसे अधिक पसंद करता हूँ। वसंत वास्तव में वर्ष की सर्वोत्तम ऋतु है। अधिकतर लोग इस ऋतु को पसंद करते हैं। यह कवियों की प्रिय ऋतु है। । इसे ऋतुओं की रानी कहा जाता है।
वसंत जाड़ा के बाद आता है। यह फरवरी के मध्य से प्रारंभ होता है और अप्रैल के मध्य तक रहता है। जब वसंत आता है तब पृथ्वी सुंदर और आकर्षक लगती है। वृक्षों में नए पत्ते निकलते हैं। प्रकृति आकर्षक लगती है। इस ऋतु में अनेक प्रकार के सुंदर फूल खिलते हैं। सुंदर गुलाब हमारा मन मोह लेते हैं। जब हम फुलवारी में टहलते हैं तब हम फूलों के चमकीले रंगों पर मुग्ध हो जाते हैं। वस्तुतः, वसंत सुंदर फूलों की ऋतु है । इस ऋतु में मधुमक्खियाँ बहुत व्यस्त रहती हैं। वे मधु की खोज में एक फूल से दूसरे फूल पर जाती हैं। हम सुंदर तितलियों को उड़ते हुए देखते हैं। वे बच्चों को आकर्षित करती हैं।
वसंत ऋतु के दिन बहुत आनंददायक होते हैं। वसंत में न गर्मी रहती है, न जाड़ा। यह बहुत आनंददायक होता है। यह स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है।
वसंत ऋतु में मनोरम ध्वनियाँ सुनाई पड़ती हैं। फुलवारी में भनभनाती हुई मधुमक्खियाँ हमें आनंदित कर देती हैं। कोयल आनंद से पागल हो जाती है। इसके मधुर स्वर पर हम मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। प्रातःकाल हम पेड़ों पर पक्षियों को चहचहाते हुए सुनते हैं।
वसंत में फसल के खेतों में टहलना आनंददायक होता है। हरे पौधे हमारी आँखों को प्रसन्न कर देते हैं। सरसों के पीले फूल हवा में फड़फड़ाते हैं। धरती हरा वस्त्र धारण कर लेती है। वसंत इसे स्वर्ग में बदल देता है।
मैं वसंत को सबसे अधिक पसंद करता हूँ; क्योंकि यह अत्यंत आनंद देता है। जाड़े की अत्यधिक ठंढक के कारण मैं उससे घृणा करता हूँ। ग्रीष्म की चिलचिलाती धूप से मुझे भय लगता है। मैं वर्षा के कीचड़ और गंदगी को नापसंद करता हूँ। वसंत ही मुझे आकर्षित करता है। यह असाधारण सौंदर्य और आकर्षण लाता है। इसलिए यह मुझे बहुत आनंदित करता है।
वसंत के सौंदर्य को देखकर हम अपनी चिंताओं और कष्टों को भूल जाते हैं। यदि हमें देखने के लिए आँखे हैं और सुनने के लिए कान हैं तो हम वसंत में बहुत आनंददायक दृश्य और मधुर स्वर पाएँगे।