प्रत्येक संकट आपदा नहीं होता है। एक संकट उस समय आपदा बन जाता है जब वह अनायास उत्पन्न हो तथा उसका सामना करने की तैयारी पहले से न हो। जैसे सुनामी आपदा बन जाता क्योंकि यह अचानक आता है तथा इसका सामना करने की कोई पूर्व योजना नहीं बनी रहती है। पृथ्वी के आकस्मिक हलचल के कारण प्राकृतिक आपदायें अथवा संकट आते हैं। इनसे बहुत कम समय में ही धरातल की आकृति में परिवर्तन आ जाते हैं तथा धन-जन की बड़ी हानि होती है। भारत में आने वाली प्रमुख प्राकृतिक आपदाओं में प्रमुख हैं- सूखा, बाढ़, भूकम्प, चक्रवात, भूस्खलन आदि।
प्रकृति से खिलवाड़ का ही नतीजा है कि आज धरती पर पूरी जीव सृष्टि को प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ रहा है। प्राकृतिक आपदाओं के कारण मानव जीवन तो प्रभावित होता ही है साथ ही अन्य जीव सृष्टि को भी इसके परिणाम भुगतने पड़ते हैं। भूकंप, बाढ़, ज्वालामुखी का फटना, सुनानी बादल फटना, चक्रवात, तूफान, हिमस्खलन, भूस्खलन, सूखा, महामारी आदि ऐसी प्राकृतिक आपदाएँ हैं जिनसे सदियों से धरती की जीवसृष्टि त्रस्त है। आए दिन ऐसी आपदाएँ हमारे जीवन को प्रभावित करती रहती हैं। प्राकृतिक आपदाओं के कारण कुछ मानव सर्जित हैं और कुछ प्रकृति के नियमों के अनुसार हैं। इन सभी आपदाओं को रोका नहीं जा सकता क्योंकि प्रकृति सृजन भी करती है और विनाश भी। प्राकृतिक आपदाओं से हम केवल अपने जान-माल का संरक्षण कर सकते हैं और उसके प्रभाव से स्वयं को बचा सकते हैं।
दुनिया भर के देशों ने प्राकृतिक आपदा प्रबंधन का गठन अपने-अपने देशों में किया है जो ऐसी आपदाओं के समय लोगों को रक्षण प्रदान करता है। भारत देश में भी प्राकृतिक आपदा प्रबंधन का गठन किया है जिसका उद्देश्य इन आपदाओं के समय लोगों के जान माल का रक्षण करना है। प्राकृतिक आपदाओं के कारण कुछ मानव सर्जित भी हैं लगातार जंगलों की कटाई, बढ़ता प्रदूषण, खनन, नदियों के बहाव में हस्तक्षेप आदि से हमने प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान पहुँचाया है जिसके कारण ऐसी प्राकृतिक आपदाएँ बढ़ी हैं।