1986 के उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के लागू होने के बाद भारत में उपभोक्ताओं में जागरूकता पैदा करने के लिए टी०वी० / अखबार / मैगजीन्स के माध्यम से उन्हें प्रशिक्षण दिया जाता है। इस प्रशिक्षण से उन्हें वस्तु विशेष की पूरी जानकारी मिल जाती है, उनके धन का पूरा उपयोग होता है, जीवन स्तर बढ़ता है, वस्तु विशेष का उपभोग करके अधिक संतोष मिलता है। तकनीकी प्रोन्नति के कारण बाजार में बहुत सा सामान और सेवाएँ उपलब्ध हैं। अतः एक जागरूक उपभोक्ता को भी सबसे अच्छी वस्तु का चुनाव करने में कठिनाई आती है। सही चुनाव से बहुत संतोष मिलता है। यदि चुनाव करते समय कुछ बातों को ध्यान में रखा जाए तो सही खरीद से आप निश्चित हो सकते हैं। ऐसे चुनाव के लिए निम्न बातों का ध्यान रखें - क्या खरीदें
1. निश्चित करें कि आपको किस वस्तु की आवश्यकता है।
2. जहाँ तक हो सके मानक चिह्न या प्रमाण वाली वस्तुएँ खरीदें।
3. विभिन्न दुकानदारों की कीमतों को ठीक से जाँच परख लें।
4. कीमत, गुणवत्ता, जरूरत, टिकाऊपन और अन्य गुणों में तालमेल बैठाएँ । कहाँ से खरीदें
1. लाइसेंसधारक दुकानों से जो उचित नियमों से व्यापार करते हैं, उन्हीं से खरीदें ।
2. जहाँ तक संभव हो सके थोक व्यापारी, प्राधिकृत व्यापारी या फिर कोऑपरेटिव स्टोर से ही खरीदें ।
3. 'विक्रय के उपरांत सेवा' का विशेष ध्यान रखकर ही खरीदें।
कब खरीदें
1. तभी खरीदें जब दुकान पर भीड़ कम हो।
2. कूलर, फ्रिज, हीटर, पंखे, गरम कपड़े इत्यादि तभी खरीदें जब उन पर अधिकतम छूट उपलब्ध हों। कैसे खरीदें
1. जहाँ तक संभव हो सामान नकद ही खरीदें, क्योंकि वह सस्ता पड़ता है।
2. खरीदने से पहले वस्तु के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर लें। कितना खरीदें
1. अपने परिवार की आवश्यकताओं का आकलन कर लें।
2. वस्तु की प्रकृति का ध्यान दें, क्या वह खराब होने वाली है, जल्दी खराब होने वाली है या फिर बिलकुल खराब होने वाली नहीं है।
3. कितना खरीदें, यह धन और भंडारण सुविधा पर भी निर्भर करता है।
उपभोक्ता को कई तरह से छला जा रहा है। ऐसी स्थिति में उपभोक्ता को अपने अधिकारों व दायित्वों के प्रति जागरूक होना चाहिए। जागरूक उपभोक्ता अपने हित का ध्यान रख सकता है। कई लोग उपभोक्ता शोषण को किस्मत का दोष मानकर चुप रह जाते हैं। ऐसे विचारों के कारण उपभोक्ता और अधिक शोषित होता है ।
उपभोक्ता को संरक्षण प्रदान करने के लिए उन्हें निम्न रूप में जागरूक किया जाता है
1. उपभोक्ता को अपने अधिकारों का प्रयोग करने के लिए प्रेरित करना ।
2. उपभोक्ता की विक्रेता द्वारा किए जाने वाले शोषण से रक्षा करना ।
3. उपभोक्ता को वस्तु की मात्रा, शुद्धता तथा किस्म का आश्वासन देना ।
4. जो वस्तु जीवन के लिए हानिकारक है उसकी बिक्री पर रोक लगाना।
से उत्पादों की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए और उपभोक्ताओं का हित ध्यान में रखते हुए सरकार ने बहुत से कदम उठाए हैं। सरकार ने ऐसे प्रमाणन की योजनाएँ चलाई है जिसके अन्तर्गत उत्पादों को मानक चिह्न प्रदान किए जाते हैं। सरकार ने मानक चिह्नों का प्रयोग स्वास्थ्य और सुरक्षा संबंधी उत्पादों में अनिवार्य किया है। मानक चिह्नों द्वारा निर्माताओं को बाजार में स्पर्धा और अपने उत्पाद की गुणवत्ता बनाए रखने लिए प्रेरित किया जाता है।