अंतरिक्ष में भारत की शक्ति लगातार बढ़ रही है। भारत की शक्ति का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित कुल उपग्रहों में भारत के उपग्रहों की संख्या अन्य देशों की तुलना में कम नहीं है। भारत के 'मंगलयान' ने 24 सितम्बर 2014 को मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश कर इतिहास रच दिया। सफल मंगल अभियान से भारत ने पूरी दुनिया में एक अलग ही मुकाम हासिल किया है।
भारत 'मिसाइल से संपन्न देश' तो था ही अब 27 मार्च 2019 को उपयह क्षेत्र में विश्व की चौथी शक्ति के रूप में उभरा है। इसे 'मिशन शक्ति' का नाम दिया गया है। कहते हैं कि उपलब्धि जब हासिल होती है, तो उसकी ऊंचाई नहीं, उसके परिश्रम के पीछे की गहराई देखनी चाहिए। भारत ने एंटी सैटेलाइट हथियार को सफल परीक्षण करके यह साबित कर दिया कि वह न सिर्फ भविष्य की रक्षा चुनौतियों के लिए तैयार है, बल्कि उसके लिए अंतरिक्ष एक ऐसा क्षेत्र है, जहां उसके लिए अब कोई चुनौती शेष नहीं है। यह माना जाता है कि भविष्य के युद्ध पृथ्वी, जल या आकाश में ही नहीं अंतरिक्ष में भी लड़े जाएंगे। 27 मार्च 2019 को रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष शोध संगठन (इसरो) ने मिलकर भारत के ही एक पुराने और अनुपयोगी हो चुके उपग्रह को ध्वस्त किया, तो साफ हो गया कि देश ने किसी भी अंतरिक्ष युद्ध का मुकाबला करने की क्षमता हासिल कर ली है। वैसे भारत ने जिस हथियार का आज परीक्षण किया है, उसे अमेरिका और सोवियत संघ ने पिछली सदी के छठे दशक में ही विकसित कर लिया था। लेकिन तब इन दोनों देशों के ऐसे हथियार भारत के लिए चिंता का विषय नहीं थे। भारत के लिए इस प्रणाली को विकसित करने का दबाव वर्ष 2007 में तब बना, जब चीन ने इस प्रणाली का सफल परीक्षण किया। कहा जाता है कि भारत ने तभी यह प्रणाली विकसित करने की तैयारी शुरू कर दी थी। 2012 में तो इसकी बकायदा घोषणा भी कर दी गई थी। ताजा परीक्षण बताता है कि हमारे वैज्ञानिक एक दशक से भी कम समय में अत्याधुनिक युद्ध प्रणाली विकसित करने में सक्षम हो चुके हैं। इसी के साथ भारत उन चार देशों में शामिल हो चुका है, जिनके पास यह प्रणाली है।
यही नहीं, 2 अप्रैल को पहले ही प्रयास में एंटी-सेटेलाइट (ए-सैट) मिसाइल का सफल परीक्षण कर अपनी क्षमता का डंका बजाने वाले भारत ने हफ्तेभर के भीतर अंतरिक्ष की दुनिया में एक और कदम बढ़ा दिया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सैन्य सेटेलाइट 'इलेक्ट्रो मैग्नेटिक इंटेलीजेंस सेटेलाइट' (एमिसैट) का सफल प्रक्षेपण किया। 436 किलोग्राम के एमिसैट की खूबियों को देखते हुए इसे अंतरिक्ष में भारतीय जासूस की संज्ञा दी जा रही है। हालांकि इसरो ने सेटेलाइट के बारे में विस्तृत जानकारी देने से इन्कार किया है। एमिसैट को साथ इसरो ने 28 विदेशी उपग्रहों को भी प्रक्षेपित किया। इसरो ने पहली बार एक साथ तीन अलग-अलग कक्षाओं में प्रक्षेपण का मिशन पूरा कर अपने नाम एक और उपलब्धि दर्ज कराई है। वर्धा में चुनावी रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए इसे इसरो की ऐतिहासिक छलांग बताया।
किन्तु अमेरिकी अन्तरिक्ष एजेंसी नासा ने भारत के इस 'शक्ति मिशन' को भयावह करार देते हुए कहा है कि इससे अन्तरिक्ष में यंत्रों के टुकड़ों का मलबा फैल जायगा जो पृथ्वी उपग्रह को भी नुकसान पहुँचायगा। 2019 में भारत ने चंद्रयान- 2 मिशन के द्वारा अंतरिक्ष में कामयाबी हासिल की। 2021 में चंद्रयान- 3 प्रायोजित है।