सामाजिक विभेदों में तालमेल रहने से लोकतांत्रिक व्यवस्था (Democratic System) की जड़ें मजबूत होती हैं।
ठीक इसके विपरीत सामाजिक विभेदों में उचित तालमेल नहीं होने से संघर्ष एवं कलह की स्थिति भी पैदा हो जाती है। ये दोनों पक्ष निम्नलिखित हैं —
1. सामाजिक विभेदों में तालमेल– विविधता में एकता लोकतंत्र का एक स्वाभाविक गुण है। प्रायः, लोकतांत्रिक राज्यों में धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत को अपनाया जाता है।
किसी भी धर्मनिरपेक्ष राज्य (Secular State) के नागरिक विभिन्न धर्मों के अनुयायी होते हैं तथा वे आपसी सौहार्द के वातावरण में शांतिपूर्वक रहते हैं।
इस प्रकार, उनमें यह धारणा विकसित हो जाती है कि वे अलग-अलग धर्मों के अनुयायी तो अवश्य हैं, परंतु उनका राष्ट्र एक है और वे सभी एक ही राष्ट्र के नागरिक हैं।
इसीलिए, समस्त भारतीयों के लिए यह कहा गया है कि हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, सभी परस्पर भाई-भाई। यह सामाजिक विभेदों में तालमेल पैदा करनेवाली भावना का द्योतक है।
होली, दीपावली, दशहरा जैसे पर्वो पर मुसलमान भी हिंदुओं के यहाँ दावत पर जाते हैं और ईद के मौके पर हिंदू भी उन्हें मुबारकबाद देते हैं।
सिख भी हिंदुओं के मंदिर में पूजा करने आते हैं और हिंदू भी गुरुद्वारे में श्रद्धापूर्वक शीश नवाते हैं। यह विभेदों में तालमेल, अर्थात विविधता में एकता का उत्कृष्ट नमूना है।
भारत की तरह बेल्जियम (Belgium) में भी विभिन्न भाषा-भाषी एवं क्षेत्र के लोगों में अच्छा तालमेल है।
2. सामाजिक विभेदों से संघर्ष की उत्पत्ति— यदि शासन द्वारा सामाजिक विभेदों में उचित तालमेल नहीं बिठाया जाता है, तो यही सामाजिक विभेद कालांतर में संघर्ष का प्रधान कारण भी बन जाता है।
सामाजिक विभेद लोकतंत्र के लिए घातक सिद्ध होता है। धर्म, लिंग, जाति, संप्रदाय के नाम पर आपस में उलझने से राष्ट्र की शक्ति क्षीण हो जाती है।
ऐसी अवस्था का लाभ उठाकर कभी-कभी दुश्मन देश आक्रमण भी कर देते हैं और राष्ट्र की आजादी खतरे में पड़ जाती है।
जब तक विविधताएँ एक सीमा में रहती हैं तब तक कोई परेशानी नहीं होती है, परंतु जब विविधताएँ अपनी सीमा का अतिक्रमण करने लगती हैं। तब सामाजिक विभाजन अवश्यंभावी हो जाता है।
अमेरिका (America) में श्वेत-अश्वेत का झगड़ा, उत्तरी आयरलैंड में प्रोटेस्टेंट और कैथोलिक का झगड़ा, भारत में दलितों और सवर्णों में टकराव जैसी स्थिति किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए घातक सिद्ध होती है।
अतः, संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि विभेदों में उचित तालमेल बिठाकर ही आपसी संघर्ष को रोका जा सकता है।