आचार्य विनोबा भावे ने भूमिपतियों से अतिरिक्त भूमि माँगकर भूमिहीन मजदूरों को देने के लिए एक आंदोलन चलाया, जिसे भू-दान आंदोलन कहते हैं।
इस योजना में बहुतों ने अपनी जमीन दान में दे दी, लेकिन इसका समुचित उपयोग नहीं हो सका।
विनोबा भावे के मरते ही उनका यह आंदोलन भी समाप्त हो गया ।