पेरिस की शान्ति परिषद् पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए । Paris ki Shanti Parishad Per Ek Sankshipt Tippani Likhiye.
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पेरिस की शान्ति परिषद् पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए । Paris ki Shanti Parishad Per Ek Sankshipt Tippani Likhiye. 

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प्रथम महायुद्ध ( first world war) के पश्चात् मित्र राष्ट्रों ने पेरिस की शान्ति परिषद् को बुलाया था । यह सम्मेलन फ्रांस की राजधानी पेरिस में बुलाया गया था। इसमें जर्मनी की पराजय हुई थी । मित्र राष्ट्रों ने जर्मनी से एक सन्धि की जिसे वर्साय की सन्धि कहते हैं । यह सन्धि बदले की भावना से भरी हुई थी। इस सन्धि में जर्मनी का अपमान किया गया था और जर्मनी को विचारों को प्रस्तुत करने का भी अधिकार नहीं था। उसके सारे साम्राज्य को छिन्न-भिन्न कर दिया गया था और उसकी सैनिक शक्ति को घटा दिया गया था। उसके जंगी जहाजों पर मित्र राष्ट्रों का अधिकार स्थापित होता जा रहा था और उसे वे अपने व्यापार के काम में लाने लगे थे । 

1871 की सन्धि का बदला फ्रांस ले रहा था । इन सबके अतिरिक्त जर्मनी के ऊपर हर्जाने की एक भारी रकम डाली गई थी, जो उसकी सामर्थ्य से बाहर थी। आल्सेस तथा लारेन के खानों के प्रदेश जहाँ उसने लोहे एवं वस्त्र उद्योग के विशाल कारखाने स्थापित कर रखे थे, उन पर फ्रांस का अधिकार हो गया। जर्मनी के निवासियों को विभिन्न राष्ट्रों के द्वारा अनुशासित होना पड़ा । जर्मनी के विभाजन में राष्ट्रीयता का विरोध किया गया था, उनके अन्दर मान - हानि की भावना का उदय हो रहा था । बाध्य होकर जर्मनी को वर्साय की अपमानजनक सन्धि स्वीकृत करनी पड़ी थी। जर्मनी प्रथम महायुद्ध के पश्चात् हुए इस अपमान को कभी नहीं भूल पाया । हिटलर की नीतियों एवं उग्र राष्ट्रवाद ने ही अन्ततः द्वितीय महायुद्ध को अवश्यम्भावी बना दिया । यह कहना सत्य ही है कि प्रथम महायुद्ध ने ही द्वितीय महायुद्ध को जन्म दिया ।

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