बादशाह अपने दिन की सूर्योदय के समय कुछ व्यक्तिगत धार्मिक प्रथा से करता था, और उसके बाद वह पूर्व की ओर मुँह किए एक छोटे छज्जे अर्थात् झरोखे में आता था।
इसके नीचे लोगों की भीड़ होती थी, जिसमें सैनिक, किंसान, व्यापारी, शिल्पकार, बीमार, बच्चों के साथ औरतें बादशाह की एक झलक पाने के लिए इतंजार करती थी।
अकबर द्वारा शुरू की गयी झरोखा दर्शन (Jharokha Darshan) प्रथा का उद्देश्य जन-विश्वास को जागृत करना था, जहाँ ऊँच या नीच कोई भी व्यक्ति सम्राट से मिलकर बड़े से बड़े अधिकारी के खिलाफ न्याय की माँग कर सकता था।