मदर टेरेसा (Mother Teresa) के बारे में वर्णन करें। Mother Teresa Ke Bare mein Varnan Karen.
50 views
0 Votes
0 Votes

मदर टेरेसा (Mother Teresa) के बारे में वर्णन करें। Mother Teresa Ke Bare mein Varnan Karen.

1 Answer

0 Votes
0 Votes

पीड़ित मानवता के दुखों से सदैव दुखी रहनेवाली मदर टेरेसा सही अर्थों में ‘‘माँ'' थी। जिसके आँचल में ममता ही ममता हो वह माँ के अलावा और कुछ हो भी नहीं सकती। सेवा का संकल्प जितना कठिन है, उतना ही कठिन है उसे जीवन पर्यन्त निभाना लेकिन सेवा के इस व्रती ने तो प्राणपथ से न केवल अपने संकल्पों को सुदृढ़ किया, बल्कि दया एवं ममता की साक्षात प्रतिमूर्ति बन कर दुखी, पीड़ित रोगी और लावारिस जनों की सरमायादार बन गयी।

सम्पूर्ण जीवन अनाथ, असहाय, अपंग, गरीब, बेसहारा, लाचार, बीमार, दीन-दुखियों के लिए समर्पित था । दीन-दुखियों की निस्पृह सेवा का इतना बड़ा व्रती दुनिया में कोई और हो इसका मिसाल शायद ही मिले। यही वह प्रमुख है वजह है कि मदर टेरेसा पूरी दुनिया की माँ बन गयी। मानवीय संवेदनाओं से परिपूर्ण मदर का सम्पूर्ण जीवन प्रेरक और अनुकरणीय है। सेवा और समर्पण के कंटाकीर्ण मार्ग की राही मंदर अपने संकल्प से कभी विचलित नहीं हुई बल्कि समय के साथ-साथ उनके संकल्प का दायरा विस्तृत होता गया। जब भी कहीं मानवता पीड़ित-प्रताड़ित हुई, मदर उसकी सेवा के लिए तत्पर रही।

उनका कार्यक्षेत्र विश्वव्यापी और युगोस्लाविया के स्कोप्ये नगर में एक व्यवसायी के घर 26 अगस्त 1910 में जन्मी बालिका एग्नेस गोजा बोजाझिया बचपन से ही विलक्षण थी । सेवा की यह देवी मात्र अठारह वर्ष की अल्पायु में सन् 1929 में भारत आयी। सेवा एवं सामाजिक कार्यों के मशहूर लॉरेटों बहनों की "1 बुलावा पर भारत आने आकर संत मेरी लॉरेटो इन्वेंट हाई स्कूल में शिक्षिका के रूप में अपना दायित्व निभाना शुरू किया। टेरेसा नाम उन्हें तब मिली जब लिसियक्स के संत टेरेसा ने उन्हें "जीसस का नन्हा फूल' कहा। उसके बाद वे सिस्टर टेरेसा के रूप में जानी जाने लगीं। 1948 तक शिक्षिका और फिर प्राचार्य के रूप में लॉरेटो बहनों के साथ काम करने के बाद मदर टेरेसा ने 1950 ई. में "मिशनरीज ऑफ चैरीटीज' की स्थापना कर अपमान और तिरस्कार की जिन्दगी जीनेवालों, दरिद्रों, पीड़ितों की सेवा का संकल्प लेकर मृत्युपर्यन्त अपने कर्त्तव्यपालन में जुटी रहीं। कलकत्ता को ही अपना प्रारम्भिक कार्यक्षेत्र बनानेवाली मदर टेरेसा ने वहाँ की गंदी बस्तियों और झुग्गी-झोपड़ियों में रहनेवाले जीवन से हताश-निराश लोगों से आत्मीयता कायम करने के लिए पहले हिन्दी और फिर बंगला सीखी। कलकत्ता के निकट टीटागढ़ में कुष्ठरोगियों के जीवन में आशा का संचार शुरू किया।

से पूर्व एग्नेस ने आयरलैंड जाकर अंग्रेजी सीखी और उसके बाद कलकत्ता मदर का कार्यक्षेत्र व्यापक और विस्तृत था। ईश्वर के प्रेरणा से प्रेरित होकर मदर ने अपने जीवन का लक्ष्य दरिद्रों की सेवा को बनाया और लक्ष्य के संधान के लिए अस्पताल, स्कूल, वृद्धाश्रम, कुष्ठाश्रम, लावारिस और असहायों का आश्रम आदि को साधन बनाया। अपंग, असहाय, दरिद्र- दुखी और बीमार लोगों की सेवा के अतिरिक्त, प्राकृतिक भौतिक आपदाओं के समय भी मदर मसीहा बनकर सामने आती रही। पूरे विश्व में चाहे कहीं भी आपदा - विपदा की चीख उठी मदर सेवा के लिए सदैव तत्पर रही।

मदर की नजर में सबसे बड़ा धर्म सेवा था । धार्मिक कट्टरता और संकीर्णता की सदैव विरोध करनेवाली टेरेसा हमेशा कहा करती थी कि “धर्म परस्पर प्रेम और इंसान को इंसान से जोड़ने का माध्यम है।" हिंसा उनकी नजर में मानवता को कलंकित करनेवाली काररवाई रही। सामाजिक तनाव, साम्प्रदायिक टकराव और आपसी मतभेद-मनमुटाव को वे इंसानियत के खिलाफ मानती रही। भारत के राष्ट्रीय फलक पर जब भी ऐसा कुछ उभरा मदर ने अपनी स्नेहील वाणी से उस पर विराम लगाने की कोशिश की। अपने को विश्व - नागरिक माननेवाली मदर विश्व शांति की भी अग्रदूत थी।

RELATED DOUBTS

1 Answer
8 Votes
8 Votes
37 Views
Peddia is an Online Question and Answer Website, That Helps You To Prepare India's All States Boards & Competitive Exams Like IIT-JEE, NEET, AIIMS, AIPMT, SSC, BANKING, BSEB, UP Board, RBSE, HPBOSE, MPBSE, CBSE & Other General Exams.
If You Have Any Query/Suggestion Regarding This Website or Post, Please Contact Us On : [email protected]

CATEGORIES