मनुष्य प्रत्येक प्रकार के क्रियाकलापों के लिए पर्यावरण पर निर्भर है। मनुष्य एक कलाकार के रूप में पर्यावरण द्वारा प्रदत्त रंगमंच पर कार्य करता है। कहीं पर्यावरण उसे प्रभावित करता है तो कहीं वह उसके साथ अनुकूलन एवं परिवर्तन करता है।
पर्यावरण और मनुष्य दोनों का अस्तित्व एक-दूसरे के स्वस्थ संबंध पर निर्भर करता है। मनुष्य पर्यावरण को हरा-भरा और विकसित बना सकता है। अर्थात् पर्यावरण का विकास एवं सुरक्षा मनुष्यों के हाथों में होता है। मनुष्य ने पर्यावरण को संशोधित कर जीवन के लिए सुगम कृत्रिम वातावरण का निर्माण किया ।